BREKING NEWS

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Saturday 24 November 2012

दो ट्रेनों की आमने-सामने टक्कर - टला एक बड़ा हादसा


लखीसराय : किऊल गया रेल खंड पर शुक्रवार को दो ट्रेनों की आमने-सामने टक्कर होते-होते बची और एक बड़ा हादसा टल गया. जानकारी के अनुसार लखीसराय के केबिनमैन की लापरवाही के कारण हावड़ा से मोकामा जाने वाली 53049 अप पैसेंजर ट्रेन किऊल- मोकमा रेलखंड के बजाय किऊल-गया रेलखंड की पटरी दौड़ने लगी.
उसी ट्रैक पर विपरीत दिशा से 53624 डाउन गया-किऊल डीएमयू पैसेंजर ट्रेन भी आ रही थी. लेकिन हावड़ा मोकामा ट्रेन में विद्युत चलित इंजन था और किऊल गया रेलखंड का विद्युती करण नहीं हुआ है. इससे पावर नहीं मिलने के कारण हावड़ा-मोकामा ट्रेन कुछ दूर आगे बढ़ने के बाद स्वत: खड़ी हो गयी.
इसी दौरान हावड़ा-मोकामा पैसेंजर ट्रेन को किऊल गया रेलखंड में जाती देख केबिनमैन आनंदी पासवान ने अचानक प्वाइंट बदलने का प्रयास किया. इस कारण ट्रैक भी क्षतिग्रस्त हो गया. दूसरी तरफ हावड़ा-मोकामा पैसेंजर के ड्राईवर अरविंद कुमार द्वारा आपातकालीन ब्रेक लगया गया. इससे ब्रेक भी क्षतिग्रस्त हो गया.
बाद में लाइट इंजन द्वारा हावड़ा मोकामा पैसेंजर ट्रेन को किऊल-मोकामा रेल खंड पर लाया गया. तब जाकर ट्रेन मोकामा की ओर बढ़ी. इस क्रम में किऊल-गया और किऊल-मोकामा रेलखंडों पर परिचालन लगभग तीन घंटे तक ठप रहा.
इस संबंध में केबिनमैन आनंदी पासवान ने बताया कि उन्होंने किऊल गया डीएमयू ट्रेन को आगे बढ़ने का सिगनल दिया गया था. लेकिन सिगनल लाल होने के बाद भी हावड़ा मोकामा ट्रेन को ड्राइवर ने खोल दिया, इससे रूट बदल गया.
उधर किऊल के स्टेशन प्रबंधक एनके ठाकुर ने बताया कि पहले हावड़ा मोकामा पैसेंजर का सिगनल दिया गया था. लेकिन उस ट्रेन के दस मिनट तक नहीं खुलने के कारण बाद में उसका सिगनल लाल कर दिया गया. इस कारण उसका रूट परिवर्तित नहीं किया जा सका.
- टला एक बड़ा हादसा
किऊल-गया व किऊल-मोकामा रेलखंडों पर परिचालन लगभग तीन घंटे तक ठप रहा
अचानक ब्रेक लगाने से ट्रैक व ब्रेक क्षतिग्रस्त

Wednesday 21 November 2012

बिहार चैम्पियन पहलवान..चन्द्रभान पहलवान


बिहार दंगल प्रतियोगिता नवादा से जीतकर आए विजेता बिहार चैम्पियन पहलवान. चन्द्रभान पहलवान को शहर के लोगों ने फुल माला पहनाकर स्वागत किया और पहलवान जी को लडडु खिलाया। उनके सहयोगी पहलवानों ने इस सम्मान समारोह को आयोजित किया । बिहार सरकार के पूर्व मंत्री राजबल्लव यादव ने इस प्रतियोगिता में विजेता को एक भैस और 5000 रू0 दिया है।  चन्द्रभान पहलवान बिहार चैम्पियन लगातार दुसरी बार चुना गया है। जिससे लोगों में खुशी है।

गोपाष्टमी


लखीसराय गौशाला चेरिटेबुल सोसायटी ने आज गोपाष्टमी के अबसर पर गौपुजा किया और गाय को सजाकर नगरभ्रमण के लिए एक जुलुस लेकर निकल गया है इस गोपाष्टमी के मुख्य उददेश्य है कि गाय की रक्षा करें।  गौ सर्वगुण सम्पन्न है गाय हमारी जीवन के रक्षक है

Tuesday 20 November 2012

आग में चार घर जलकर राख।

लखीसराय जिला के सुर्यगढा थाना क्षेत्र के सुरजीचक गांव में चुल्हे की चिंगारी से लगी आग !
खादय पदार्थ , टैक्टर, थ््रोसर , कपडा, आदि कुल तकरीबन 6 लाख रू0 की सम्पति जलकर राख। आग अभी भी लगी है। ग्रामिण द्वारा आग बुझाने की प्रयास जारी ! मौके पर नहीं पहुंची अग्निशमन दल। आग में चार घर जलकर राख। 

Monday 19 November 2012

प्रकृति प्रत्यक्ष देव सूर्य को अ‌र्घ्य

प्रकृति प्रत्यक्ष देव सूर्य को अ‌र्घ्य देते व्रतियों ने सुख सौभाग्य की कामना की। लखीसराय के जिला वासियों ने आज लोक आस्था नेमधर्म का महापर्व छठ पूजा के अंतिम दिन सुबह 5 बजे से लाखो छठवर्तीयों ने भगवान भाष्कर को अघ्र्य दिया और आज शान्ति.स्नेह और सद्भाव के साथ छठ मईया को घण्टों अघ्र्य पडता रहा । आज के दिन घाट पर हजारों बच्चों का मुंडन संस्कार भी किये गए ।



उदयीमान सूर्य को अ‌र्घ्य


आस्था का प्रतीक महापर्व छठ पूजा मनाने का प्रचलन साढे़ तीन हजार वर्ष पूर्व से चला आ रहा है। छठ पूजा का यह लोकउत्सव कार्तिक शुक्ला चतुर्थी से आरंभ हो कर चौथे दिन सप्तमी की सुबह संपन्न होता है। इस पर्व को बहुत ही नियम पूवर्क मनाया जाता है।
इस महापर्व की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस पूजा में किसी भी मंत्र का उच्चारण नहीं होता और ना ही पंडित का सहयोग लिया जाता है। भारतीय चंद्रवर्ष [विक्रम संवत एवं शक संवत] के कार्तिक मास शुक्ल पक्ष के छठे दिन बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के निवासी जो त्योहार मनाते हैं, उसे 'सूर्य छठ' अथवा 'डाला छठ' कहा जाता है। वैसे तो इस महापर्व की शुरुआत चतुर्थी तिथि को नहाया खाय से शुरू होती है और उसके अगले दिन पंचमी को व्रती बिना अन्न जल ग्रहण किए हुए शाम को खरना की पूजा करते है। इसके बाद षष्ठी के दिन शाम को अस्ताचलगामी सूर्य और सप्तमी के सुबह उदयीमान सूर्य को अ‌र्घ्य देते हैं। घाटों पर भगवान भास्कर और छठी मइया की पूजा करते व्रतियों ने शहर को अध्यात्म और लोक संस्कृति के रंग में डूबो दिया। पीले वस्त्र, नहाकर गीले बदन, हाथ में फलों और ठेकुआ से भरा सूप लिए प्रकृति प्रत्यक्ष देव सूर्य को अ‌र्घ्य देते व्रतियों ने सुख सौभाग्य की कामना की।

आप सबों को महापर्व छठ की हार्दिक शुभकामना !


अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर को पहला अ‌र्घ्य

 
लोक आस्था का महान पर्व छठ के अवसर पर  बधाई । 

Sunday 18 November 2012

लोक आस्था का महापर्व छठ

लखीसराय चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का महापर्व  छठ व्रतियों के घरों एवं बाजारों में बजते छठ मइया के गीतों से वातावरण पूरी तरह छठमय होता जा रहा है।लोक आस्था का पवित्र पर्व छठ पूजा की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। शहर की एक लाख आबादी मुख्य रूप से किऊल नदी के विभिन्न घाटों पर छठ के दौरान अ‌र्घ्य अर्पित करते हैं। नदी घाटों पर अ‌र्घ्य अर्पित किया जाएगा। नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी  द्वारा प्रत्येक घाटों एवं तालाबों का निरीक्षण कर प्रत्येक घाटों की सफाई का पूरा दावा किया जा रहा है। नगर परिषद द्वारा इसके लिए हर रोज एक जेसीबी मशीन से पांच-छह घंटे तक घाटों की सफाई में हो रही है तथा 50 से अधिक सफाई मजदूर हर रोज सफाई कार्य में लगे हैं। लेकिन किऊल नदी स्थित घाटों पर फैली गंदगी व शहर की सड़कों पर बदबू देते कूड़े-कचरे की ढेर नगर परिषद के हर दावे की पोल खोल रहा है। प्रशासन को इससे कोई मतलब नहीं दिख रहा है। ।
                         आज अष्टघाटी पोखर, दिनकर घाट और विधापीठ चैक स्थित हनुमान घाट पर स्वंयसेवी संस्था के सदस्यों ने नगर प्रशासन के खिलाफ  जमकर नारेबाजी किया और साफ-सफाई के लिए जुट गए।

Friday 16 November 2012

रोटी कपडा और मकान


लखीसराय में बासफोड जाति की स्थिति फटेहाल है । सुप मौनी और डालिया बनाकर जीवन बसर करने बाले इन बासफोडों का पूरा परिवार छठ पूजा के पहले से कारिगरी में जुट जाता है और दिन रात काफी मेहनत कर नेम धर्म लोकआस्था का महापर्व में बास की सुप को खरिददारी करने बालों की जब भीड उमडी तो एक आस जगी है कि अब मेरा दिन फिरने बाला है । महंगे दामों में बास खरीदकर कम मुनाफा लेकर सुप मौनी और डालिया बेच रहे है । खुले आसमान के नीचे गुजर बसर करने बाले इन बासफोडों की जिन्दगी नरक बनी रहती है एक तरफ बिहार सरकार महा दलितों के लिए काफी सुबिधा देने की लम्बी-चैडी भाषण देते रहते है फिर भी इन्हे कोई लाभ नही मिला है । अब - जब छठ पुजा का दिन आने से पहले आखों में चमक लौटी है । सरकार या जिला प्रशासन लाख दावा करले परन्तु इन जातियों के लिए अन्य दिनों रोटी कपडा और मकान के लिए दर-बेदर की ठोकरें खानी पडती है । बास फोडों का हाल बेहाल रहता है। बास की कराची से बनाते है छठ पूजा के लिए सुप मौनी और डालिया बाजार में कम दाम मिलते है । स्थिति फटेहाल है । फिर भी संतोष है ।

महंगाई जान मारेला


छठ के लिए मिटटी के वर्तन, बास का सुप,मौनी बटरी, फल और किराना  में महंगाई ने लोक-आस्था का महापर्व छठ पुजा के खरीददार  के लिए महंगाई जान मार दिया है ।  आखिर  सब के सब महंगाई डायन ने जान ले लिया है । कददु का दाम 35रू0 से लेकर 60 रू0 है । सुप का दाम 40 से 65 रू है। फल-फुल में भी काफी महंगाई मार गई है। बेचनेबाला और खरीददार दोनों परेशान है। खरीददार कम समान लेकर इसवार छठ मानाने की खानापुर्ति करने में लगे है तो दुकानदार मंहगा समान रहने के कारण अधिक नहीं बेच पा रहे है। इस बार महंगाई जान मारेला ।


मिडिया की स्वतंत्रता


आज लखीसराय जिला समाहरणालय के सभागार में जिलाधिकारी ने प्रेस दिवस के अबसर पर मिडिया की स्वतंत्रता पर एक परिचर्चा का आयोजन किया जिसमें जिला के सभी प्रिन्ट मिडिया और इलेक्ट्ोनिक मिडिया सहित जिला के सभी विभागों के अधिकारीयों ने भाग लिया। जिसमें मिडिया की कर्तव्यनिष्ठता, अपने कार्या के प्रति वफादारी, समाजिक सारोकार , आर्थिक रूप से शोषित पिडित व्यक्तियों के लिए उसके हक-और हुकुक के लिए आगे आने की बात कही। 16 नबम्बर 1964ई0 को प्रेस काॅसिल का गठन हुआ तभी से इस चैथा स्तम्भ के लिए प्रेस दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस अबसर पर सभी ने एक दुसरे को मदद करने की संकल्प लिया।

Thursday 15 November 2012

बिहार का देवघर अशोक घाम


बिहार का देवघर अशोक घाम
लखीसराय जिले का नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या- 01 में  अशोक घाम है, जो आज बिहार का देवघर कहलाता है । श्री इन्द्रदमनेश्वर महादेव मंदिर अशोकधाम परिसर में आज भी भक्तगण सिमरिया के गंगाघाट से कावर लेकर जल भरकर पैदल 30 कि0मी0 अशोक घाम  श्री इन्द्रदमनेश्वर महादेव मंदिर में पुजा अर्चना करने आ रहे  है।  यहा साबन का महीना में काफी मनमोहक दृश्य देखा जाता  है ! भगवान श्रीराम द्वारा पुजित शिवलिंग  श्रावण माह का पहला दिन पूजा-अर्चना में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भक्तगण  भगवान शिव के शिवलिंग पर जलाभिषेक करता है । 
                                                सबसे बडी खासियत है यह कि---- 
यहा प्रतिदिन शादी होता है वो भी बिना कोई लगन-मूर्हत के, सभी अन्य दिन और रात को सैकडो जोडों वर-बधु की विवाह पारंपरिक वैदिक रीति-रिवाज से सम्पन्न होता है यहा सभी दिन काफी भीड होती है फिर भी जिला प्रशाषण द्वारा सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं रहता है यहाॅ दर्जनों प्रेम-विवाह, एवं पकडौवा-विवाह बिना रोक-टोक के सम्पन्न होता है । 
                                     पौराणिक इतिहासिक परिचय ------ 
भगवान जब अपने लीलाओं को अपने भक्तों को दिखाना चाहे है तब-तब किसी न किसी रूप में इतिहास रचा है  जैसे श्री राम ने रामायण में कई विवरण की व्याख्या सहित भाई-चारे का जो लीलाओं का विवरण किया वह इतिहास में लिखा गया है । ठीक इसी प्रकार भगवान भोलेनाथ की इच्छा जब प्रकट होकर अपने भक्तों की भक्ति भावना को जगाते हुए उनकी मनोकामना पूर्ण करने की हुई तो उन्होंनंे अशोक नामक चरवाहे को अपने भक्ति की प्रेरणा दी तब तत्पश्चात अशोक नामक चरवाहा चैकी रजौना के ग्रामीणों के साथ मिलकर खेलने के दरम्यान टीले की खुदाई कर डाला । देखते ही देखते एक अधिमुक्त काले रंग का शिवलिंग मिला । जिसे श्री गणेश चतुर्थी, वैशाख कृष्ण पक्ष संवत् 2034 तदनुसार 7 अप्रैल, 1977 ई0 हम सब कि सौभाग्य सूर्य के उदित होने का दिवस था । संसार के अन्य भागोें में, अंगकोरवाट में, अफगानिस्तान में, अमेरिका के मेक्सिकों नगर में भी शिवलिंग पाए गए है लेकिन यह काले रंग का चिकना शिवलिंग चैडा और लंबा एवं काफी भव्य कांतीमय है तुलसी रामायण के अनुसार जब राजा दशरथ ने राम सहित सभीं राजकुमारों का पुत्रेष्ठी यज्ञोपवित संस्कार मंुडन के लिए इसी रास्ते से  भगवान शिव की पुजाकर श्रृंगि रिषि के यहाॅं गये थे जो श्रृंगि रिषि आश्रम लखीसराय से 9 किलोमिटर कि दुरी पर चानन प्रखंड में है इसलिए श्री इन्द्रदमनेश्वर महादेव का महत्त्व भी है । लेकिन अशोकधाम की महिमा न्यारी और प्यारी है । इस मंदिर के धर्मस्थल जाने के लिए लखीसराय एवं किउल स्टेशन से रिक्शा, टमटम एवं टेक्सी मिलती है । यह स्टेशन से मात्रा 6 किलोमिटर कि दुरी पर स्थित हैं । राजधानी पटना से 125 किलोमिटर पुरब राष्ट्रीय उच्च पथ ;नेशनल हाईवे 80पर से लगभग 1 किलोमीटर की दुरी पर भोलेनाथ ;अशोकधाम अवस्थित हैं ।
लखीसराय में नये सिरे से रमणिक पर्यटन स्थल  ऐतिहासिक महत्व के कारण भोजपुरी फिल्मो के निर्मता निर्देशक एवम कलाकार अक्सर सूटिंग करते देखें जाते है बिहार सरकार का उपेक्षा के कारण  लखीसराय का ऐतिहासिक धरोहर  आज अपराधियो का वसेरा बन कर रह गया है लखीसराय में नये सिरे से रमणिक पर्यटन स्थल पर जिला प्रशासन ध्यान दे और पर्यटक क्षेत्र के रूप मे बिकसित करे तो यह लखीसराय जिले का अशोक घाम बिहार का देवघर बनकर अच्छा राजस्व देने के साथ देश विदेश के मनाचित्र पर भी आ सकता है 
ऐतिहासिक स्टोरी- इस पवित्र तीर्थ स्थल के निकट अन्य तीर्थ स्थल हैं जैसे श्रृंगीरिषि आश्रम, सीताकुण्ड, देवी त्रिपुर सुंदरी ;बड़हिया, भगवान महावीर का जन्म स्थल ;लछुवाड एवं महादेव सिमरिया ;सिकंदरा में हैं ।  किन्तु इसके साथ पौराणिक एवं ऐतिहासिक साक्ष्य भी जुड़े है, जो इस स्थापित तथ्य के प्रति हमारे विश्वास को बल प्रदान करते है । अशोकधाम के आस-पास के लोगों का कहना है कि भगवान शिव के अतिरिक्त श्री विष्णु, श्री लक्ष्मी जी, भगवती दुर्गा, नंदी आदि की कलात्मक मूत्र्तियों की रचना गुप्तकाल में हुई थी । ऐसी अनेक मुत्र्तियां इस धम में भी उपलब्ध होती रही है । इससे भी यह निष्कर्ष निकलता है कि कृमिला को अशोकधाम गुप्तकाल में भी अत्यंत महत्वपूर्ण धर्मस्थल था । अशोकधाम का शिवलिंग का नामकरण की श्री इन्द्रदमनेश्वर महादेव ने किया था । यह नाम पालवंश के अन्तिम शासक राजा इन्द्रद्युम्न के कारण किया गया । उसके पूर्व धर्मपाल सन 770 से 810ई0बौद्धमतावलम्बी था । उसी ने विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की थी उसके काल में बौद्वघर्म का विकास हुआ । लेकिन इसके साथ ही मंदिरों के विध्वंस की गति भी तीव्र हुई । 871 ई0 में नारायण पाल शासक हुआ करता था  । उसने अपनी राजधनी मुद्रागिरी ;मुुंगेर में रखी । भागलपुर संग्रहालय के ताम्रपत्र से ज्ञात होता है कि उसने मुद्रागिरि से श्रीनगर ;पाटलीपुत्रा के बीच 1000 लगभग शिव मन्दिर बनवाये । लेकिन अशोकधाम में दो फीट लंबे और डेढ़ फीट चैड़े एक काले पत्थर पर 1000 शिवलिंग मुत्र्तिया निर्मित मिले है । शायद यह नारायण पाल द्वारा बनाये गये अनेक शिव मंदिरों का प्रमाण है ।
इन्द्रद्युम्न पाल अपने वंश का अन्तिम शासक था । उसकी राज्य सीमा खड़गपुर, मंुगेर, जयनगर ;लखीसराय थी । बख्तियार खिलजी ने इसे पराजित किया था । वे पत्नी के साथ नित्य ही अशोकधाम शिवपूजन के लिए जाते थे । वही इस मंदिर होते हुए जलप्पा स्थान, श्रृंगीरिषि भी जाया करता था । उन्होेंने ही इस शिव मंदिर का निर्माण करवाया, जिसकी नींव 1977-78 ई0 की खुदाई में दिखाई पड़ी । इसी कारण इस शिवलिंग का नाम श्री इन्द्रदमनेश्वर महादेव पड़ गया । लखीसराय समाहरणालय के बगल में जयनगर पहाड़ी पर इन्द्रद्युम्न के भवन का अवशेष पाया गया है । इसकी चर्चा मुंगेर गजेटियर में किया गया है । 
इस क्षेत्र की ऐतिहासिकता के संबंध में लाॅर्ड कर्निंघम के द्वारा वर्णित पुरातात्विक सर्वेक्षण प्रतिवेदन में भी विवरण दिया हुआ  है, जिसका उल्लेख आचार्य राम रघुवीर ने अपनी उपर्युक्त पुस्तक में भी किया है । कर्निंघम को हरूहर और कियुल नदी के संगम पर 4 मील लंबे और 1 मील चैड़े क्षेत्रों में एक विशाल नगर की अवस्थिति का पता चला था । यहां बौद्वघर्म होने की संभावना का अनुमान लगाया था । उसने दूसरे टीले के अंदर अपेक्षाकृत प्राचीन मंदिर के अवशेष की संभावना जतायी थी । कर्निंघम ने कतिपय शिव, विष्णु आदि मंदिरों के अवशेष का वर्णन किया है । एक चतुर्भुजाकार टीले पर भगवान विष्णु की 3 छोटी और 1 बड़ी प्रतिमा उसे मिली थी । वहां पत्थर के खण्डों पर शंख लिपि में खुदे अक्षर भी थे । यह लिपि 7-8वीं शताब्दी में सम्पूर्ण भारत में प्रचलित थी ।
आज का लखीसराय पाल काप्य रिषि का लोहितार्णव तथा राजा कृमि का कृमिला नगर है जो आज किउल के नाम से जाना जाता है। ह्नेनसांग, कनिंघम तथा बैंग्लर द्वारा उल्लिखित शिव मंदिर से युक्त यह प्राचीन नगर है । अभी भी शिवमंदिर के तीनों ओर तथा राष्ट्रीय उच्च पथ के किनारे जो टीले हैं उनकी खुदाई करने पर विस्तृत जानकारी मिल सकती है । सौभाग्य से शिव मंदिर के उत्तर पश्चिम की दिशा में एक और मंदिर का अवशेष मिला है । यह संभवतः भगवती पार्वती का मंदिर था । शिव मंदिर का जो अवशेष मिला है । उसी के नक्शे के अनुसार नये मंदिर का निर्माण कार्य अभी चल रहा है । इस धर्मस्थल के स्थापना दिवस में कई हस्तियाँ समेत और गणमान्य उपस्थित थे । इस बुनियाद कि शुरुआत नयेसिरे से सन् 2004 ई0 में की गई हैं । 

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पुलिस के गिरफत में है भगवान


लखीसराय थाना की पुलिस के गिरफत में है भगवान। दर्जनों बेशकिमती मुर्तियों को थाना के बाहर रख दिया गया है । जिनकी कभी पुजा-पाठ तक नहीं होती है । कहने को तो यह चोरों से बरामद की गई है यहां इसे लेजाने बाला कोई जमानतदार तक नहीं है । इसे ना तो थाना का मालखाना नसीव हुआ और नहीं कोई मंदिर । मजबुरी बस लखीसराय थाना की पहरेदारी करते है भगवान । रहना है तो कुछ करना ही पडेगा । लखीसराय में पालकालीन वेशकीमती मूर्तियों की अनदेखी हो रही है लखीसराय में 18वीं सदी के पालवंश कालिन सैकडों बेशकिमती काले पत्थर से बना देवी-देवताओं की मुर्ति जहाॅ -तहाॅ बिखरी पडी है।इस शहर में एक अदद् संग्रहालय तक नहीं है । नतीजतन समय-समय पर इस शहर और जिले के अन्य हिस्सों से मिलनेवाली दुर्लभ मूर्तियाॅ जहाॅ-तहाॅ विखरी पडी है । ऐसी मूर्तियों में से कई तो चोरी भी हो चुकी है ।लखीसराय शहर के साथ ही इस जिले के कई अन्य ग्राम ऐतिहासिक अवशेषों से भरे पडे है । बौद्व, सनातन,एवं जैन धर्म के संगम स्थल के रूप में अपने प्राचीन अवशेष और स्मृति पाषाण चिन्हों से अलंकृत इस शहर के रजौनाएवं चैकी ग्राम अपनी ऐतिहासिकता को आज भी स्पष्ट कर रहे है । वर्ष 1977 ई0 में चैकी ग्राम से प्राप्त विशाल शिवलिंग अब यहाॅ सुप्रसिद्व श्री इन्द्रदमनेश्वर महादेव मंदिर का रूप ले चुका है ।इन ग्रामों में से समय-समय पर प्राप्त असंख्य दुर्लभ मूर्तियों में से कई चोरी का शिकार हो चुकी है । और इस चोरी के मामले लखीसराय थाना में दर्ज है । जो मूर्तियाॅ बची हुई है उनमें से कुछ को मंदिर कमिटी ने सहेजकर सुरक्षित कर रखा है । तो कुछ अब जहाॅ -तहाॅ बिखरी पडी हैं । शहर का कवैया मुहल्ला,कालीपहाडी,लाली पहाडी,बालगुदर ग्राम,एवं जिले के कई अन्य ग्राम भी इतिहास के सुनहरे पन्नों में कैद हैं। यहाॅ से भी यदा-कदा बेशकीमतीमूर्तियाॅ मिलती रही है । इनमें से किसी को भी सुरक्षित रखने की व्यवस्था नहीं है ।
                   लखीसराय के ऐतिहासिकता को देखते हुए बर्ष 1981 में यहाॅ एक किराये के मकान में संग्रहालय की स्थापना की गई थी । दो बर्षों के बाद इसे यहाॅ से हटाकर जमुई ले जाया गया । राज्य के कला और संस्कृति विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार लखीसराय संग्रहालय कर्मियों के वेतन, किराये एवं अन्य मद में विभाग द्वारा प्रति वर्ष चार लाख रूपयों से अधिक की राशि मुहैया करायी जा रही है । विभागीय अधिकारी लखीसराय में जमीन या कोई भवन उपलब्ध कराये जाने के लिए समय -समय पर जिले के आलाधिकारीयों से सम्पर्क साधते रहे है ,  ताकि यहाॅ संग्रहालय चालू किया जा सकें , परन्तु अभीतक यह संभव न हो पाने के कारण प्राचीन दुर्लभ मूर्तियां जहां-तहां राम भरोसे बिखरी पडी है । लखीसराय  राजा इंद्रदमन के शासन काल में बसाया गया लखीसराय अपनी धरोहरों को बचाये रखने में भी अक्षम साबित हो रहा है. यहां के प्रबुद्धजनों ने पुरातत्व विभाग व जिला प्रशासन से धरोहरों को बचाने की गुहार लगायी है.
यहां उत्तर में गंगा नदी, पूरब में किऊल नदी, पश्चिम उत्तर कोने पर हरूहर नदी स्थित है. बाबा श्रृंगी ¬षि धाम से निकले मोरवे, महावीर की जन्मभूमि लछुवाड़ के जंगलों से निकली सोमे नदी, भूरहा नदी, बड़हिया टाल के 14 सोते और लखीसराय के 52 तालाब हैं.
लखीसराय जिले के पौराणिक स्थलों का स्थाई रूप से नामकरण या पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कोई पहल राजनीतिक या प्रशासनिक तौर पर नहीं की जा रही है.
नहीं है संग्रहालय
यहां बर्बाद हो रही मूर्तियों के लिए एक संग्रहालय तक नहीं है. इस शहर को मुंगेर जिला से 03 जुलाई 1994 को बिहार सरकार की अधिसूचना जिला पुनर्गठन शाखा संख्या 123 के तहत जिला बनाया गया
V.O1--  जिले में संग्रहालय की स्थापना के संबंध में ने बताया कि -फिलहाल जिला प्रशासन के पास इसका कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है । उन्होने बताया की, जहाॅ-तहाॅ पडी मूर्तियों की सुरक्षा के प्रबंध जिला प्रशासन करेगा                                  

दाल का कटोरा


दाल का कटोरा
लखीसराय जिला के बडहिया टाल क्षेत्र में दलहन की प्रचुर मात्रा में खेती की जाती थी जिससे बिहार ही नहीं बल्कि सम्र्पुण भारत के कई राज्यों में दलहन की कच्चा माल मील-मालिकों को उपलब्ध कराया जाता था । जबकी लखीसराय शहर के मुख्य व्यवसायिक मंडी नया बाजार कें सैकडों घरों में चकरी मशीन द्वारा बडहिया टाल क्षेत्र के कच्चा माल दलहन को साफ-सुथरा करके फ्रेश दाल बनाया जाता था । जिसके कारण लखीसराय शहर के बडहिया टाल क्षेत्र दाल का कटोरा और नया बाजार को दालपटटी के नाम से प्रसिद्व हो गया है जो आज भी इसी नाम से प्रचलित है । इस दालमंडी में कई अत्याधुनिक दाल छटाई मशीन भी लग गया जिससे प्रतिदिन 50 भारी बाहन टृक से भारत के अन्य राज्यों दाल सप्लाय किया जाता था । अब स्थिति बदतर हो गया है
                और अब दो साल से लगातार सुखाड होने के कारण बडहिया टाल क्षेत्र में बडा-बडा विभिन्न तरह के घास उग आया है । जिसके कारण किसान भुखमरी के कगार पर पहुॅच गया है । बिहार सरकार के बिशेष दलहन बिकास पदाधिकारी लाल बच्चन सिंह  भी मानते है कि -यहाॅ घास का निबारण नहीं होने के कारण और प्रकृति का प्रकोप के फलस्वरूप दलहन की उपजानें में परेशानी हो गया है जिसके कारण कई किसान भुखमरी के कगार पर पहुॅच कर आत्महत्या भी करने के लिए मजबूर हो सकते है । उन्हे दो जुन की रोटी के साथ दाल भी मयस्सर नहीं हो रहा है । लम्बे धास को टाल क्षेत्र से हटाने के लिए अत्याधुनिक मशीनों द्वारा ही संभव है जो सरकार को लिखित सुचना दे दिया गया है लेकिन अभी तक कोई जबाब नहीं आया है
                और बहीं स्थिति लखीसराय शहर के मुख्य व्यवसायिक मंडी नया बाजार कें सैकडों घरों में चकरी मशीन द्वारा  फ्रेश दाल बनाने बालों फैक्टरी मालिकों की है सभी कल-कारखना बन्द पड गया है  फ्रेश दाल बनाने बालों फैक्टरी मालिकों का कहना है कि --बाहर से दलहन के कच्चा माल लानें पर परेशानी और बजार भाव से अधिक खर्चा आता है । आज बडहिया के टाल क्षेत्र का दाल का कटोरा खाली पडा है तो इघर शहर के मुख्य व्यवसायिक दालमंडी दालपटटी में सभी कल कारखाना बन्द हो गया है
    बिहार सरकार दलहन के किसान और व्यापारीयों से प्रतिबर्ष करोडों का टैक्स लिया लेकिन इसपर किसी ने ध्यान नहीं दिया । यहाॅ के सभी किसान और व्यापारी सुखाड से प्रभावित है लेकिन जिला-प्रशासन और बिहार सरकार मुॅह बाॅए कर हाथ खडा कर लिया है। प्रशासन बिहार बिधान सभा चुनाव के बाद बडहिया टाल में ध्यान देने की बात  कहा था । लेकिन चुनाव खत्म हो गया और फिर बिहार में नीतीश कुमार का सरकार बन गया है अब देखना यह है कि बिहार सरकार के मुलाजिम किसान को अपने परम्परागत दाल का कटोरा में दलहन उगाने में कहाॅ तक साथ देते है या किसान फिर से दलहन उगाने की जहमत उठाते है या नहीं --------- और व्यापारी भी दाल-व्यवसाय के इस घंघा को फिर से शुरू करता है या नहीं ----------

बिहार में शोध की आवश्यकता


राज्य के पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह बडहिया के तालाबों में मछली पालन को बढावा देने के उददेश्य से निरिक्षण किया ! जिसमें उन्होने बताया कि किसानों को खेतों में फसल उत्पादन के साथ तालाबों में मछली पालन भी करना चाहिए. इससे उनकी आय दस गुणा अधिक होगी इस तरह मछली पालन कर लोगों की बेरोजगारी दुर होगी और लाखों रूपया की आमदनी होगा ! सही तरीके से मछली पालन में लोग लग जाए तो बिहार की राजस्व में बृद्वि होगी ।  बिहार में शोध की आवश्यकता है.  उन्होंने कहा कि पूर्व में मछली पालन का बजट पांच से सात करोड़ तक का हुआ करता था. इसे अब 700 करोड़ तक ले जाने का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि लखीसराय जिले के सूर्यगढ़ा से फतुहा तक के इलाके को मछली उत्पादन क्षेत्र में परिवर्तित करने की योजना है.
मंत्री ने कहा कि नहर के अलावा खेत में पोखर का निर्माण कर किसानों को मछली पालन के टिप्स दिये जाने की योजना है. इसके लिए किसानों को 40 फीसदी अनुदान दिया जायेगा. जल का भूमिगत स्त्रोत राज्य में है. यूनिट की लागत राशि एन एफ बी बी ने तीन से बढ़ा कर चार लाख कर दिया है.
इसमें किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान मिलेगा. एक हेक्टेयर में एक बोरिंग पर 80 प्रतिशत, डीजल पंप पर 50 प्रतिशत, तीन एचपी के चार लाख 50 हजार की लागत वाले सोलर पंप जो डेढ़ लाख लीटर पानी प्रतिदिन देते हैं पर किसानों को 90 फीसदी अनुदान दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि नये सत्र में आंध्रप्रदेश से आने वाली मछली को रोकने के साथ बिहार से मछली दूसरे प्रांतों को भेजने की योजना है.
देश के 12 राज्यों में इस पकार की योजना चल रही है. बिहार में शोध की आवश्यकता है.

Wednesday 14 November 2012

घाटों पर व्याप्त गंदगी

छठ के लिए घाटों की साफ-सफाई में अनियमितता हो रही है। कहने को शहर में 33 नगर पार्षद हैलेकिन किसी ने व्याप्त गंदगी से निजात दिलाने की प्रयास तक नहीं कर रहे हैजिससे आम लोगों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है। आज सुर्यनाराण घाट के लोगों ने जमकर नगर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी किया ।सफाई को घाटों पर व्याप्त गंदगी को साफ कराने, जमीन समतलीकरण करने की मांग कर रहे है ।  शहर की सारी गंदगी इसी किउल नदी के घाटों पर नगर प्रशासन फेंकवाता है और तो और शहर के सभी नालों का गंदा पानी इसी किउल नदी के सभी घाटों पर बह रहा है। इस अवस्था में कैसे छठ हो पायेगा। अभी तक नगर विभाग कुछ नहीं कर रही है। मिडिया ने नगर परिषद लखीसराय के लगभग सभी घाटों का जायजा लिया तो पाया कि छठ पूजा के मद्देनजर शहर के करीब डेढ़ दर्जन वार्ड किऊल नदी स्थित घाटों का  सफाई  विद्यापीठ चौक घाट, प्रखंड कार्यालय के सामने महावीर  घाट, पथला घाट, छग्गन माहेश्वरी घाट, सूर्यनारायण घाट सहित अन्य घाटों को जाकर देखा ! लोग स्वंय साफ-सफाई करेंगे तभी कुछ हो सकता है वरना घाट गंदा ही रह जायेगा।

मंत्री गिरिराज सिंह का प्रेस वार्ता


बिहार सरकार के पशु एवं मतस्य पालन विभाग के मंत्री गिरिराज सिंह आज प्रेस वार्ता कर बताया कि अरविन्द केजरिवाल आजकल मिडिया में ज्यादा उछल रहे है उनपर अब प्रश्नचिन्ह लग गया है वो जो आन्दोलन किया  उसमें क्या खर्च हुआ। विदेशों से कितना डालर आया। और तो और वो 20 बर्षो तक नौकरी में रहकर क्या किया आजतक देशबासीयों को हिसाब-किताब नहीं दिया है। अरे अब तो राजनैतिक पार्टी बनाने जा रहे है बनने के बाद आटा-दाल का भाव पता चल जायेगा कि वो कितना पानी में है।


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                रंजीत कुमार सम्राट 
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