BREKING NEWS

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Wednesday 30 October 2013

दबंगों के पास महादलितों के जमीन


समाज के सबसे उपेक्षित पंक्ति में खड़े महादलित समाज का साल दर साल आशियाने की आस में गुजर रहा है। खुले आकाश में बचपन बीतने के बाद बुढ़ापे में स्थायी जमीन का पर्चा मिला और इमारत के सपने सरकार ने दिखाए। मगर अब भी झोपड़ी ही नसीब है। वर्ष 1955-56 में ही अंचलाधिकारी, मुंगेर द्वारा बासगीत का पर्चा दिया गया है। यह हाल है चानन प्रखंड क्षेत्र के कुंदर पंचायत अंतर्गत कुंदर गांव स्थित महादलित टोले की। यहां 100 से अधिक महादलित परिवार अपना जीवन गुजर बसर कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार वर्ष 1955-56 . में राज्य सरकार द्वारा कुंदर गांव के 60 से अधिक लोगों को बासगीत का पर्चा मिला। जिसमें पांच एकड़, पांच डीसमल जमीन खसरा 229, खाता 22 एवं 36 में दिया गया था। आश्चर्य उक्त जमीन पर आजतक उक्त पर्चाधारियों का कब्जा नहीं हो पाया है। जिसके कारण उक्त सभी परिवार खैरा राजा द्वारा दिए गए जमीन दान पर गुजर-बसर कर रहे हैं। अपनी जमीन नहीं रहने के कारण आजतक उन्हें इंदिरा आवास भी नसीब नहीं हुआ। किसी ने कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया। पर्चाधारी फागू मांझी, अमीर मांझी, शिया मांझी, किसुन मांझी, जेठु मांझी, शनिचर मांझी, पैरू मांझी, मंगल मांझी, अगन मांझी, दुखा मांझी, भोला मांझी, केशो मांझी, प्रयाग मांझी, रेतु मांझी, शुकर मांझी, सुखाड़ी मांझी, कृपाली मांझी, ताजो मांझी, मेघन मांझी, छोटन मोची, वादो मोची सहित अन्य लोग किसी तरह बरसात, ठंड गर्मी काटने को विवश हैं। उधर इस संबंध में अंचलाधिकारी सुरेश प्रसाद ने बताया कि उक्त जमीन की मापी की गई है। रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। हालांकि उन्होंने उक्त जमीन पर ग्रामीणों द्वारा कब्जा किए जाने की बात कही है।

सर्व शिक्षा अभियान में घपला

लखीसराय में सर्व शिक्षा अभियान द्वारा बाल मजदूरों, विद्यालय से बाहर रहने वाले बच्चों विकलांग बच्चों को शिक्षित करने के लिए उन्नयन केंद्र एवं उत्प्रेरण केंद्र चलाए बिना वित्तीय वर्ष 2009-10 में तीन स्वयंसेवी संस्थाओं ने 10,50,000 रुपए का गबन कर लिया है। इसका खुलासा जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (सर्व शिक्षा अभियान) नसीम अहमद ने किया है। उन्होंने तीनों स्वयं सेवी संस्थाओं से दिनांक 19 अगस्त 13 को पत्रांक 1517, 1518 एवं 1519 द्वारा अंतिम स्मार पत्र देते हुए राशि वापस करने का निर्देश दिया है। राशि वापस नहीं करने की स्थिति में सिक्युरिटी मद में कार्यालय में जमा की गई राशि को जब्त करते हुए संबंधित संस्था के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करने की बात कही गई है। डीपीओ ने संस्था को काली सूची में डालने के लिए अनुशंसा करने की भी बात कही। जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2009-10 में बाल मजदूरों को शिक्षित करने हेतु उन्नयन केंद्र (बाल मजदूर केंद्र) संचालन हेतु पूर्व जिला शिक्षा अधीक्षक सह जिला कार्यक्रम समन्वयक ने तीन स्वयं सेवी संस्थाओं लॉर्ड बुद्धा डेन्टल नेशनल एजुकेशन डेवलपमेंट काउंसिल आफ इंडिया न्यूयारपुर पटना, नई परख नवादा स्वयं सेवी संस्था नवादा एवं शिक्षा एवं सांस्कृतिक विकास समिति लखीसराय को प्रति संस्था साढ़े तीन लाख रुपए उपलब्ध कराया गया। इसके बाद उक्त स्वयं सेवी संस्थाओं ने उन्नयन केंद्र नहीं चलाया और ही बिहार शिक्षा परियोजना को राशि लौटाई। वर्तमान डीपीओ श्री अहमद द्वारा पूर्व के कार्यक्रमों में व्यय की गई राशि का समायोजन करने की प्रक्रिया शुरू करने के क्रम में यह मामला प्रकाश में आया। इसके बाद संबंधित संस्थाओं को लगातार पत्राचार के बाद भी राशि नहीं लौटाई गई है। इसके अलावा वर्ष 2009-10 एवं 2010-11 में उत्प्रेरण केंद्र चलाने वाले प्रधानाध्यापकों एवं प्रधान शिक्षकों द्वारा भी अनावर्ती मद से क्रय की गई सामग्री की बंदरबांट करने का भी मामला प्रकाश में आया है। डीपीओ ने संबंधित प्रधानाध्यापकों एवं प्रधान शिक्षकों को भी राशि अथवा सामग्री जमा करने का निर्देश दिया है। निर्देश का अनुपालन नहीं करने वाले प्रधानाध्यापकों एवं प्रधान शिक्षकों के खिलाफ उत्तरदायित्व निर्धारित कर कार्रवाई की जाएगी। विदित हो कि वर्ष 2009-10 एवं 2010-11 में 07 विद्यालयों में उत्प्रेरण केंद्र चलाया गया था।

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काली पूजा

,


शुभ दिपावली

,

अस्ताचल सुर्य और
उदयमान सुर्य
 
छठ पूजा के अबसर पर आप सभी भाई बन्धुओं को ON NEWS की ओर से हार्दिक अभिनंदन है । और नये रूप रंग और नये स्टाईल के त्वरित खबरों के साथ ON न्युज में आपका स्वागत है।

लखीसराय में यदि आपको अभिनय या ऐंकरिंग में रुचि है और आप कोई role (भूमिका) पाना चाहते हैं तो ऑडिशन के लिए कृपया आप हमारे स्टूडियो में 10 से 30 Nov के दिन 12 बजे से सायं 6 बजे के बीच आयिये.


जिस दिन से चला हूं, मुझे मंजिल पर नजर है

पर आंखों ने अभी, ‘मिल का पत्थरनहीं देखा

उन्हीं रास्तों पर, जिन पर कभी साथ थे कुछ लोग


आज रोककर पूछ रहे कि तेरा हमसफर कहां है
 

मैंने कहा...



 

मंजिल कितनी भी दूर, मैं कभी निराश नहीं होता

रास्ते में कितने भी मिले रोड़े, मैं उदास नहीं होता

हाथों की लकीरों पर, मैं कभी भरोसा नहीं करता

कामयाब वही होते हैं, जिनका हाथ नहीं होता



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मिर्ची बनाए छरहरा

दिन-रात अपनी काया को कंचन छरहरा बनाने के लिए पूरा स्त्री वर्ग परेशान है। कैसे भी कोई सा भी तरीका मिल जाए तो उसे अपना कर आकर्षक हो जाएं।

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने मिर्ची में मौजूद कैप्सेसिन नामक तत्व के बारे में पता लगाया जो शरीर के मैटाबॉलिज्म को तेज करता है। इससे शरीर की कैलरीज ज्यादा खर्च होने लगती है शरीर का वजन अधिक नहीं बढ़ने पाता। यही गुण काली मिर्च अदरक में भी होते है। शोध में यह भी पता चला कि मिर्च-मसाले युक्त गरम सूप पीने वालों की तुलना में सूप पीने वालों की कैलरी 200 तक बर्न हुई। लेकिन ध्यान रहे, एसिडिटी होने पर मिर्च-मसालों से दूर रहने में ही भलाई है।

फूलगोभी खाइए, कैंसर भगाइए

क्या आप कैंसर से दूर रहना चाहते हैं? यदि हां, तो रोजाना फूलगोभी खाइए। ब्रिटिश वैज्ञानिकों की एक टीम ने पता लगाया है कि फूलगोभी की एक खास किस्म कैंसर और दूसरी जानलेवा बीमारियों को दूर भगाती है। यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट ऐंग्लिया के वैज्ञानिक 26 साल तक काम करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं। वहां एक खास प्रजाति की फूलगोभी की खेती की जाती है। इटली से लाई गई कुछ फूलगोभियों से इनकी ब्रीडिंग शुरू की गई है और इससे आखिरकार फूलगोभी की नई वैरायटी विकसित की गई, जो दिल की बीमारी से भी लड़ सकती है।

'फूलगोभी में ग्लूकोरैफैनिन की प्रचुर मात्रा होती है, जो कई दवाओं से ज्यादा कारगर है।'

Monday 28 October 2013

गोवर्धन पूजा

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन उत्सव मनाया जाता है। इस दिन बलि पूजा, अन्न कूट, मार्गपाली आदि उत्सव भी सम्पन्न होते है। अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई।

दिवाली की अगली सुबह गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की पूजा की जाती है।


गोवर्धन पूजन विधि-
दीपावली के बाद कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर उत्तर भारत में मनाया जाने वाला गोवर्धन पर्व मनाया जाता है। इसमें हिंदू धर्मावलंबी घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धननाथ जी की अल्पना (तस्वीर या प्रतिमूर्ति) बनाकर उनका पूजन करते है। इसके बाद ब्रज के साक्षात देवता माने जाने वाले गिरिराज भगवान [पर्वत] को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।

गाय बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर फूल माला, धूप, चन्दन आदि से उनका पूजन किया जाता है। गायों को मिठाई खिलाकर उनकी आरती उतारी जाती है तथा प्रदक्षिणा की जाती है। गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर जल, मौली, रोली, चावल, फूल दही तथा तेल का दीपक जलाकर पूजा करते है तथा परिक्रमा करते हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को भगवान के निमित्त भोग नैवेद्य में नित्य के नियमित पदाथरें के अतिरिक्त यथासामर्थ्य अन्न से बने कच्चे-पक्के भोग, फल, फूल; अनेक प्रकार के पदार्थ जिन्हें छप्पन भोग कहते हैं। 'छप्पन भोग' बनाकर भगवान को अर्पण करने का विधान भागवत में बताया गया है और फिर सभी सामग्री अपने परिवार, मित्रों को वितरण कर के प्रसाद ग्रहण करें।


पूजन व्रत कथा-
गोवर्धन पूजा की परंपरा द्वापर युग से चली रही है। उससे पूर्व ब्रज में इंद्र की पूजा की जाती थी। मगर भगवान कृष्ण ने गोकुल वासियों को तर्क दिया कि इंद्र से हमें कोई लाभ नहीं प्राप्त होता। वर्षा करना उनका कार्य है और वह सिर्फ अपना कार्य करते हैं जबकि गोवर्धन पर्वत गौ-धन का संवर्धन एवं संरक्षण करता है, जिससे पर्यावरण भी शुद्ध होता है। इसलिए इंद्र की नहीं गोवर्धन की पूजा की जानी चाहिए।

इसके बाद इंद्र ने ब्रजवासियों को भारी वर्षा से डराने का प्रयास किया, पर श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाकर सभी गोकुलवासियों को उनके कोप से बचा लिया। इसके बाद से ही इंद्र भगवान की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का विधान शुरू हो गया है। यह परंपरा आज भी जारी है।

सब ब्रजवासी सात दिन तक गोवर्धन पर्वत की शरण मे रहें। सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर एक जल की बूँद भी नही पड़ी। ब्रह्या जी ने इन्द्र को बताया कि पृथ्वी पर श्री कृष्ण ने जन्म ले लिया है, उनसे तुम्हारा वैर लेना उचित नही है। श्रीकृष्ण अवतार की बात जानकर इन्द्रदेव अपनी मुर्खता पर बहुत लज्जित हुए तथा भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा याचना की।

श्रीकृष्ण ने सातवें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखकर ब्रजवासियो से आज्ञा दी कि अब से प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व उल्लास के साथ मनाओ।



पूजा का महत्व-
माना जाता है कि भगवान कृष्ण का इंद्र के मान-मर्दन के पीछे उद्देश्य था कि ब्रजवासी गौ-धन एवं पर्यावरण के महत्व को समझें और उनकी रक्षा करें। आज भी हमारे जीवन में गायों का विशेष महत्व है। आज भी गायों के द्वारा दिया जाने वाला दूध हमारे जीवन में बेहद अहम स्थान रखता है।

यूं तो आज गोवर्धन ब्रज की छोटी पहाड़ी है, किन्तु इसे गिरिराज (अर्थात पर्वतों का राजा) कहा जाता है। इसे यह महत्व या ऐसी संज्ञा इस लिये प्राप्त है क्यूंकि यह भगवान कृष्ण के समय का एक मात्र स्थाई स्थिर अवशेष है। उस समय की यमुना नदी जहाँ समय-समय पर अपनी धारा बदलती रही है, वहां गोवर्धन अपने मूल स्थान पर ही अविचलित रुप में विधमान है। इसे भगवान कृष्ण का स्वरुप और उनका प्रतिक भी माना जाता है और इसी रुप में इसकी पूजा भी की जाती है।

बल्लभ सम्प्रदाय के उपास्य देव श्रीनाथ जी का प्राकट्य स्थल होने के कारण इसकी महत्ता और बढ़ जाती है। गर्ग संहिता में इसके महत्व का कथन करते हुए कहा गया है - गोवर्धन पर्वतों का राजा और हरि का प्यारा है। इसके समान पृथ्वी और स्वर्ग में कोई दूसरा तीर्थ नहीं है। यद्यपि वर्तमान काल में इसका आकार-प्रकार और प्राकृतिक सौंदर्य पूर्व की अपेक्षा क्षीण हो गया है, फिर भी इसका महत्व कदापि कम नहीं हुआ है।

यदि आज के दिन कोई दुखी है तो वर्ष भर दुखी रहेगा इसलिए मनुष्य को इस दिन प्रसन्न होकर इस उत्सव को सम्पूर्ण भाव से मनाना चाहिए। इस दिन स्नान से पूर्व तेलाभ्यंग अवश्य करना चहिये। इससे आयु, आरोग्य की प्राप्ति होती है और दु: दारिद्र का नाश होता है। इस दिन जो शुद्ध भाव से भग्वत चरण में सादर समर्पित, संतुष्ट, प्रसन्न रहता है वह वर्ष पर्यंत सुखी और समृद्ध रहता है।


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