लखीसराय जिले के कबैया थाना क्षेत्र के आर्दशनगर में पीडिता ममता
देवी की यौन-शोषण मामले में आज नया मोड़ ले लिया है। कशीश न्यूज पर खबर चलने के
बाद पुलिसिया दबाब और समाजिक हस्तक्षेप पर अनन्त नारायण आर्य के मझला भाई अर्न्तराष्टीय
हथियार तस्कर अनील आर्य ने दौलत को हासिल करने के लिए अपने भाई को संगीन मामलों के दलदल में ढकेल दिया था। ममता को किराये पर रखकर उसके साथ स्वंय
यौन शोषण करता रहा और हथियार के बलपर ममता के दोनो बेटे को कब्जे में लेकर बडें भाई
अनन्त नारायण
आर्य को फ़ंसा दिया। अन्ंत घर छोड़कर भाग गया इघर अनील आर्य अपने बाप को जहर देकर उसकी हत्या कर दिया और अपनी
बुढ़ी मां मुन्द्री देवी को घर से भगा दिया । इस घटना से पुरे मुहल्ले में
सनसनी है । कशीश न्यूज का खबर का असर है कि उसकी बुढ़ी मां मुन्द्री देवी ने अपने दबंग मझला
बेटा अनील आर्य की सच्चाई कैमरा के सामने बताई तो समाजवालों का होश उड़ गए।
अनील आर्य सूबे
बिहार के बडें हथियार तस्कर है जो विगत 2 नबंम्बर 2004 को पटना में सैकड़ों हथियार के
साथ गिरफ़तार हो गया था। पटना के कई समाचार पत्रों में बडें-बडें
सूर्खीयों में अनील की फ़ोटो और खबरे छपी। जिसकी अखबार कटिंग उसकी माता जी ने दिखाया। जिसमें उसे बेउर जेल में सजा
भी काटनी पड़ी थी। वो सजा काटकर दुसरी पारी नये-नये स्कुली लड़कीयों को बहला-फ़ुसलाकर
उससे धन्धा करवाने लगा। घर वालों ने उसका विरोध भी किया परन्तु उसने किसी का एक नहीं
सुना । वो अपराध के दलदल में बढ़ता चला गया। और बेसुमार दौलत कमाने की नशा में परिवार
वालों को भी नहीं वख्शा । ममता को लापता कर दिया गया है । पुलिस इस गुत्थी को सुलझानें
में नकाम रही। जब कबैया थाना प्रभारी से इस संदर्भ में पत्रकारों ने बात किया तो वो
गुस्से से झुंझला गए। और बाईट नहीं देने की बात किया। लेकिन पुलिस अब शातिर अनील आर्य
को खोज रही है । अनंत नारायण व दबंग अनील आर्य की पीडित मां
मुन्द्री देवी न्याय की गुहार के लिए दर-बे-दर की ठोकरे खा रही है।
BREKING NEWS
Thursday 4 December 2014
Thursday 2 October 2014
स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत का संदेश
।लखीसराय।
सफाई अभियान
महाअष्टमी और गांधी जयंती के मौके पर शहरवासी स्वच्छ, स्वस्थ लखीसराय की बनाने शपथ लेते हुए हाथों में झाडु लेकर
उतर गए । स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत का संदेश देने के
लिए नगर परिषद लखीसराय द्वारा वार्ड नंबर 30 मुहल्ला में सफाई अभियान चलाया गया। ।
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी पूनम कुमारी की देखरेख में आयोजित कार्यक्रम में
जिला पदाधिकारी मनोज कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार के साथ जिले के सभी वरीय
पदाधिकारी, नप सभापति शशि देवी पाण्डेय, उप सभापति अरविंद पासवान के अलावा विभिन्न
वार्डो के वार्ड पार्षदों ने जमा कूड़ा का उठाव कर श्रमदान किया। वार्ड पार्षदों
ने बताया कि भारत सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांधी जी की 150वीं जयंती पर
स्वच्छ भारत का सार्वजनिक
शपथ लिया गया है। लोगों को निश्चित स्थान पर कूड़ा फेंकने की अपील की। साथ ही
लोगों से गंदगी न फैलाकर अपने घरों व मुहल्ले को सफाई में योगदान करने को कहा।
* सरकारी एवं पब्लिक सेक्टर
के सभी स्तर के अधिकारी, स्वयं सहायता समूह, युवा संगठन साथ आएं
* शहर आपका है इसे स्वच्छ,
सुंदर, एवं हरित बनाने में सहयोग करें
* कूड़ा-कचरा यत्र-तत्र न
फेकें, कूड़ेदान में ही कूड़ा डालें
* सार्वजनिक भूमि एवं सड़कों
पर अतिक्रमण न करें
* सार्वजनिक सड़क पर भवन निर्माण
सामग्री न फैलाएं
* महापुरुषों से संबंधित
स्मारक स्थलों को स्वच्छ रखने में सहयोग करें
अहले
सुबह से दो घंटे तक चले सफाई अभियान के तहत डीएम, एसपी के साथ एडीएम सूर्य नारायण सिंह,
डीडीसी रमेश कुमार, एसडीपीओ संजय कुमार, एसडीओ अंजनी कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी
बसंत कुमार, वरीय उप समाहर्ता मुकेश कुमार अग्रवाल, वार्ड पार्षद रिंकू देवी, सुनीता
देवी, प्रकाश महतो सुनील कुमार, रंजीत राम, रासलोपा नेता विनोद कुशवाहा सहित दर्जनों
स्थानीय युवक ने भी कूड़ा उठाकर श्रमदान किया। गांधी जयंती के मौके पर स्वच्छता
अभियान का समापन दोपहर समाहरणालय स्थित गांधी मैदान में होगा।
शहर में झाड़ू लगवाना,
कचरा उठवाना उनके लिए नई बात नहीं थी। कोई राजनीति करके तो कोई पढ़ लिखकर इसी काम के
लिए यहां पहुंचा है। नई बात थी खुद झाड़ू लगाकर लोगों तक स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत
का संदेश पहुंचाना। नगर परिवार इसी संदेश के साथ गंदगी से जंग लड़ने को सड़क पर उतरा। जबकी लखीसराय शहर के वार्ड संख्या-2 की स्थिति काफ़ी खराब है पूरा मुहल्ला कचरा और नाले की बजबजाती गंदगी से परेशान है । तकरीबन
8 महीनों से इस वार्ड की साफ़-सफ़ाई नहीं की गई है यह वार्ड का मुख्य सड़क जो एन एच-80
को जोड़ता है । उसके बाद भी यह लिंक रोड पोखर में तब्दिल है कोई देखने वाला नहीं है
जब भी सरकारी हुक्मरानों की फ़रमान जारी होती है तो खानापूर्ति के लिए दूर्गा पूजा या
गांधी जी के जन्मदिवस के अबसर पर प्रेस में छपने के लिए इस तरह की कार्यक्रम आयोजित
की जाती है परंतु धरातल पर कुछ नहीं होता है
बड़ी दुर्गा मंदिर
लखीसराय जिले के जगत जननी बड़ी दुर्गा मंदिर स्थान में देर रात्रि कालरात्रि पूजन, महानिशा पूजा के बाद भगवती की प्राण प्रतिष्ठा की गई। प्राण प्रतिष्ठा, महा निशा पूजन के बाद देवी के पट भक्तों के दर्शन
के लिए खोल दिए गए देवी का पट खुलते ही यहां पूजा एवं दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लग गई।
माता
सीता ने भगवान श्रीराम को वर रूप में प्राप्त करने के लिए महागौरी की पूजा की थी।
यह देवी अखंड सौभाग्य व अखंड सुख देने वाली हैं।नवरात्र के आठवें दिन
मां भगवती के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा आराधना की जाती है। यह देवी पूरी
तरह से गौरवर्ण की हैं। इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है। इनके वस्त्र आभूषण सभी
श्वेत वर्ण के हैं। महागौरी की चार भुजाएं हैं। इनका वाहन वृषभ है। इनकी मुद्रा अत्यंत
शांत है। माता धन, यश, बुद्धि व सुख देने वाली हैं।
अपने पार्वती के रूप में भगवान शंकर को वर रूप में प्राप्त करने के
लिए कठोर तपस्या करने के कारण इनका वर्ण काला पड़ गया था। तब भगवान शंकर ने प्रसन्न
होकर गंगाजल से इन्हें स्नान कराया, तब इनका वर्ण अत्यंत गोरा हो गया। तभी से इनका
नाम महागौरी पड़ गया।
त्रेता युग में भगवान राम को वर रूप में प्राप्त करने के लिए माता
सीता ने इन्हीं महागौरी की पूजा करके राम को वर रूप में प्राप्त किया था। यह माता
अखंड सौभाग्य व अखंड सुख देने वाली हैं।
बुधवार को माता के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि का विधि विधान से
पूजन किया गया। मंदिरों दिन भर श्रद्धालुओं की भीड़ रही। बाबा जानकीदास मंदिर में
दुर्गा सप्तशती का पाठ किया गया।
Sunday 28 September 2014
विवेक हमारी वह शक्ति है जो उचित निर्णय करने में सहायक होती
विवेक
हमारी वह शक्ति है जो उचित निर्णय करने में सहायक होती
मनुष्य का मानस अनंत
शक्तियों का भंडार है,
लेकिन सबसे बड़ी शक्ति
है- विवेक। विवेक ही
हमारी वह शक्ति है,
जो सत्प्रेरणा देती है और
उचित निर्णय करने में
सहायक होती है। यह
संरक्षक सत्ता प्रत्येक मनुष्य
के अंत:करण में
है। यदि मनुष्य विवेक
के प्रकाश में चलता
रहे, तो बुद्धि निर्णय
करने में सफल रहती
है। दुख-कष्टों की
संभावना कम होकर संशय
मिट जाते हैं।
महाभारत में वेदव्यास ने
लिखा है कि समस्त
प्राणियों में मनुष्य से
श्रेष्ठ कोई भी प्राणी
नहीं है, क्योंकि मनुष्य
में विवेक एक ऐसी
शक्ति है, जो अन्य
प्राणियों में नहीं है।
इसी के आधार पर
मनुष्य अन्य प्राणियों को
अपने वश में कर
सकता है, जबकि अन्य
प्राणी मनुष्य को अपने
वश में नहीं कर
सकते। इस आधार पर
यह मान लिया गया
कि मनुष्य कुछ भी
करे, कुछ भी खाए
और कुछ भी पिए,
उसके लिए सब ठीक
है। इस मान्यता का
मनुष्य ने अपने स्वार्थ
की पूर्ति के लिए
दुरुपयोग किया। श्रेष्ठ होने
का मतलब है-मनुष्य।
मानव वही खाए, जो
उसके लिए परमात्मा ने
अंतस चेतना के माध्यम
से आदेश दिया था।
मनुष्य वही पिए, जो
उसके लिए नियत किया
गया। वेदव्यास ने वेदों का
सार बताते हुए कहा
था कि हम दूसरों
के साथ ऐसा व्यवहार न
करें, जो हमें पसंद
न हो।
हमें कोई आघात पहुंचाता
है, तो हमें कष्ट
होता है। ठीक इसी
आधार पर हमें अपने
विवेक से यह सोचना
चाहिए कि हमारे द्वारा
अन्य लोगों को पीड़ित
करने से उतना ही
कष्ट होता है, जितना
हमें। दूसरों को कष्ट
पहुंचाने की इस प्रवृत्ति ने
मनुष्य को भ्रमित किया
है और निरंकुश व
निष्ठुर बनाया है। आज
विवेकशीलता के अभाव में
मनुष्य शारीरिक और मानसिक दृष्टि
से निरंतर अस्वस्थ होता
चला जा रहा है।
अपराध, नशाखोरी, मिलावट, जमाखोरी तनाव,
क्रुरता पारस्परिक शोषण, उच्छृंखलता, धोखाधड़ी, आपाधापी,
स्वार्थ लोलुपता आदि दिनोंदिन बढ़
रहे हैं। परिणामस्वरूप मनुष्य
सच्चे सुख व शांति
से दूर होता जा
रहा है।
मनुष्य सामाजिक प्राणी है और
सर्वश्रेष्ठ भी, लेकिन मनुष्य
की सामाजिकता व श्रेष्ठता की
सार्थकता तभी है, जब
वह विवेकपूर्ण जीवन जीए, क्योंकि
विवेक ही मिश्रित नीर-क्षीर रूपी जीवन
की समस्या को पुन:
पानी का पानी और
दूध का दूध कर
सकने की सामर्थ्य
रखता है।
कल्पना और संकल्पना
प्राय: जीवन में कुछ
विशेष कार्य करने से
पहले व्यक्ति तरह-तरह के
संकल्प करता है। संकल्प
सकारात्मक और कल्याणकारी कार्यो
को करने से पूर्व
की इच्छाशक्ति पर केंद्रित होने
की प्रक्रिया है।
नकारात्मक व मानव-विरोधी काम करने
से पहले किए जाने
वाले समस्त मानसिक और
भाविक यत्न संकल्प
नहीं
हो सकते। संकल्पना सद्भावनाओं से
जन्म लेती है। सद्विचारों
के क्रियान्वयन के लिए जो
कार्यनीति बनती है उसकी
प्रेरणा संकल्प से ही
मिलती है।
धार्मिक अनुष्ठान सिद्ध करने के
लिए भी तन-मन
से व आत्मिक
स्तर पर शुद्ध होना
परमावश्यक है और अनुष्ठान
की समाप्ति तक शरीर और
हृदय से सात्विक स्थिति
में स्थिर होना जातक
के संकल्प की परीक्षा
होती है।
जीवन में बड़ा व
अच्छा काम करने के
लिए व्यक्ति को उस काम
के प्रति एक अतिरिक्त
ऊर्जा की जरूरत होती
है। सद्गुणात्मक मनुष्य-प्रकृति अतिरिक्त ऊर्जा
का सबसे बड़ा स्नोत
है और इसे संकल्प
द्वारा बढ़ाया जा सकता
है।
अनेक मानवीय सद्गुणों को
अपने व्यक्तित्व में समाहित कर
उन्हें अनुरक्षित करने के लिए
मनुष्य को कठिन शारीरिक-मानसिक प्रयत्न
करने पड़ते हैं। प्रयत्नों के निरंतर
अभ्यास के लिए कठोर
संकल्प चाहिए। कोई भी
व्यक्ति केवल भौतिक सामग्रियों
की सहायता से अच्छे
काम में सफल नहीं
हो सकता। उसमें भौतिक
सामग्रियों के संतुलित प्रयोग
की समझ भी होनी
चाहिए। इसके लिए उसे
एक दूरद्रष्टा, परोपकारी व आशावादी व्यक्ति
बनना होगा और ये
सभी गुण उसी व्यक्ति
में हो सकते हैं,
जो सद्भावनाओं को बेहतर संकल्प-शक्ति से सद्कायरें
में परिवर्तित कर सके। संकल्पना
व्यक्ति की जन्मजात प्रवृत्ति है।
शिशु मानव में यह
प्रवृत्ति अधिक होती है।
जैसे-जैसे व्यक्ति बड़ा
होता है, उसकी जीवन
संबंधी कल्पनाएं दो भागों में
बंट जाती हैं। ये
हैं कल्पना और संकल्पना।
कल्पनाओं में विकार व
विसंगतियां हो सकती हैं, परन्तु
संकल्पनाएं सदाचार, सत्यनिष्ठा, सद्प्रवृत्ति, सद्चि्छा
से परिपूर्ण होती हैं। संसार
में बीज से वृक्ष
बनने की प्रक्त्रिया एक
प्रकार से संकल्प का
ही द्योतक है। संकल्प
की शक्ति से ही
ज्ञान-विज्ञान के विभिन्न आयाम
प्राप्त हो सके हैं।
आज मनुष्य जीवन के
सम्मुख सबसे बड़ी चुनौती
अपने नैसर्गिक-प्राकृतिक गुणों की सुरक्षा
की है। इसके लिए
सामूहिक प्रयासों को व्यावहारिक बनाना
होगा।
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