लखीसराय किउल नदी के बालुघाट पर वर्चस्व को लेकर दो गुटों के बीच जमकर हुई मारपीट । मारपीट में वर्तमान बालु ठिकेदार सुजीत कुमार के मुंशी ब्रजेश सिंह को पूर्व बालु के ठिकेदार सह पूर्व राजद विधायक प्रहलाद यादव के गुर्गो ने की जमकर पिटाई । ब्रजेश धायल हालत में पटना के पी0एम0सी0एच0 रेफर ।
इस मामले पर पुलिस ने किया नजर अंदाज। नहीं लिया हलसी थाना केश । बालु ठिकेदार आर-पार की लडाई के मुड में है। कभी भी, किसी भी समय फिर से हो सकती बालु नरसंहार कांड । लखीसराय बालुधाट पर रोज हो रही है गोलीबारी कभी भी बालुधाट लाल हो सकता है ।
8 करोड की लागत से टेंडर होने के बाद दोनों के बीच काफी सह.मात के बाद लखीसराय.किउल नदी बालुधाट का संवेदक सुजीत कुमार का हुआ है। जबकी जमुई बालुधाट राजद के पुर्व विधायक प्रहलाद यादव का है।नए सत्र में 01.04.13 से 31.12.13 तक के लिए किऊल नदी बालू घाट की बंदोबस्ती के लिए तीन बार निविदा निकाली गई जो विभिन्न कारणों से रद हो गई। जिलाधिकारी ने चौथी बार निविदा प्रकाशित की । इससे पूर्व नीलामी प्रक्रिया में केम्स सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड पटना, सुजीत कुमार बड़हिया, अरविंद कुमार पटना एवं महादेवा इनक्लेव राजस्थान द्वारा निविदा प्रपत्र खरीदा गया था ! लेकिन विभागीय नियम व शर्त पूरा नहीं हो पाने के कारण निविदा रद होती रही। फिर एक सप्ताह के बाद सशर्त निविदा के दरम्यान सुजीत कुमार सिंह ने बन्दोवस्ती अपने नाम करवा लिया । और उसी दिन से यादव और भुमिहार समुदायों के बीच एक नया समिकरण बनना शुरू हो गया था। रोज व रोज बालु धाट पर किसी ना किसी मामला को लेकर हाई भोल्टेज नौटंकी की शुरूआत होने लगी। बालुधाट पर बालु ढोनेबाला निरिह ड्ाईवर की मौत का डरावना खेल भी शुरू हो गया । लेकिन पुलिस केवल नजरअंदाज करने में लगी है। ज्ञात हो कि 12 मई 2002 को इसी तरह जातिय रंजिश में बालु उठाव को लेकर 14 निरिह लोगों की हत्या कर दिया गया था। जिसमें राजद नेता प्रहलाद यादव के मोस्ट वांटेड भाई जीवन यादव को इस बालु नरसंहार का मुख्य अभियुक्त बनाया गया था। जो अब जेल की सलाखों से छुटकर बाहर घुम रहा है। एक बार फिर उसी तरह का बालु नरसंहार होने की अशंका व्यक्त किया जा रहा है। किऊल नदी के बालू घाट की नई बंदोबस्ती के बाद बालू उठाव को लेकर लखीसराय व जमुई जिले की सीमा को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व राजद विधायक प्रहलाद यादव और बालू घाट के संवेदक सुजीत कुमार दोनों जिले के सीमांकन को लेकर बालू घाट पर वर्चस्व की लड़ाई है। बालु साईड पर बालु उठाव करने वाला मजदुरों और वाहन चालकों के बीच भय और आतंक का महौल व्याप्त है। अगर पुलिस प्रशासन समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो कभी भी कोई बडी धटना हो सकती है।
इस मामले पर पुलिस ने किया नजर अंदाज। नहीं लिया हलसी थाना केश । बालु ठिकेदार आर-पार की लडाई के मुड में है। कभी भी, किसी भी समय फिर से हो सकती बालु नरसंहार कांड । लखीसराय बालुधाट पर रोज हो रही है गोलीबारी कभी भी बालुधाट लाल हो सकता है ।
8 करोड की लागत से टेंडर होने के बाद दोनों के बीच काफी सह.मात के बाद लखीसराय.किउल नदी बालुधाट का संवेदक सुजीत कुमार का हुआ है। जबकी जमुई बालुधाट राजद के पुर्व विधायक प्रहलाद यादव का है।नए सत्र में 01.04.13 से 31.12.13 तक के लिए किऊल नदी बालू घाट की बंदोबस्ती के लिए तीन बार निविदा निकाली गई जो विभिन्न कारणों से रद हो गई। जिलाधिकारी ने चौथी बार निविदा प्रकाशित की । इससे पूर्व नीलामी प्रक्रिया में केम्स सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड पटना, सुजीत कुमार बड़हिया, अरविंद कुमार पटना एवं महादेवा इनक्लेव राजस्थान द्वारा निविदा प्रपत्र खरीदा गया था ! लेकिन विभागीय नियम व शर्त पूरा नहीं हो पाने के कारण निविदा रद होती रही। फिर एक सप्ताह के बाद सशर्त निविदा के दरम्यान सुजीत कुमार सिंह ने बन्दोवस्ती अपने नाम करवा लिया । और उसी दिन से यादव और भुमिहार समुदायों के बीच एक नया समिकरण बनना शुरू हो गया था। रोज व रोज बालु धाट पर किसी ना किसी मामला को लेकर हाई भोल्टेज नौटंकी की शुरूआत होने लगी। बालुधाट पर बालु ढोनेबाला निरिह ड्ाईवर की मौत का डरावना खेल भी शुरू हो गया । लेकिन पुलिस केवल नजरअंदाज करने में लगी है। ज्ञात हो कि 12 मई 2002 को इसी तरह जातिय रंजिश में बालु उठाव को लेकर 14 निरिह लोगों की हत्या कर दिया गया था। जिसमें राजद नेता प्रहलाद यादव के मोस्ट वांटेड भाई जीवन यादव को इस बालु नरसंहार का मुख्य अभियुक्त बनाया गया था। जो अब जेल की सलाखों से छुटकर बाहर घुम रहा है। एक बार फिर उसी तरह का बालु नरसंहार होने की अशंका व्यक्त किया जा रहा है। किऊल नदी के बालू घाट की नई बंदोबस्ती के बाद बालू उठाव को लेकर लखीसराय व जमुई जिले की सीमा को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व राजद विधायक प्रहलाद यादव और बालू घाट के संवेदक सुजीत कुमार दोनों जिले के सीमांकन को लेकर बालू घाट पर वर्चस्व की लड़ाई है। बालु साईड पर बालु उठाव करने वाला मजदुरों और वाहन चालकों के बीच भय और आतंक का महौल व्याप्त है। अगर पुलिस प्रशासन समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो कभी भी कोई बडी धटना हो सकती है।