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Tuesday 25 June 2013

गंगा दशहरा

रंजित सम्राट


                            आज गंगा दशहरा  के  दिन मेरा जन्मदिन है  आज का दिन बड़ा ही शुभ् है


हिंदू धर्म में गंगा स्नान का विशेष महत्व है। जिस प्रकार संस्कृत भाषा को देववाणी कहा जाता है, उसी प्रकार गंगाजी को देव नदी कहा जाता है। गंगा भारत की ही नहीं बल्कि विश्व की परम पवित्र नदी है। इस तथ्य को भारतीय तो मानते ही है, विदेशी विद्वान भी इसे स्वीकार करते है।

प्रचलित मान्यता

ऐसा माना जाता है कि गंगा जी स्वर्गलोक से ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को पृथ्वी पर उतरी थीं। इसी दिन सूर्यवंशी राजा भगीरथ की पीढि़यों का परिश्रम और तप सफल हुआ था। उनके घोर तप के फलस्वरूप गंगाजी ने शुष्क तथा उजाड़ प्रदेश को उर्वर तथा शस्य श्यामल बनाया और भय-ताप से दग्ध जगत के संताप को मिटाया। उसी मंगलमय सफलता की पुण्य स्मृति में गंगा पूजन की परंपरा प्रचलित है।

भारतीय संस्कृति और गंगा

गंगा, गीता और गौ को भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व दिया गया है। प्रत्येक आस्तिक भारतीय गंगा को अपनी माता समझता है। गंगा में स्नान का अवसर पाकर कृत-कृत्य हो जाता है। गंगा दशहरा के दिन गंगा के प्रति अपनी सारी कृतज्ञता प्रकट की जाती है। ऐसा माना जाता है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान और पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते है। गंगा दशहरा के दिन यदि संभव हो तो गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए अथवा किसी अन्य नदी, जलाशय में या घर के ही शुद्ध जल से स्नान करें, पर गंगा जी का स्मरण और पूजन करे।

गंगा पूजन के साथ उनको भूतल पर लाने वाले राजा भागीरथ और उद्गम स्थान हिमालय का भी पूजन नाम मंत्र से करना चाहिए। इस दिन गंगा जी को अपनी जटाओं में समेटने वाले भगवान शिव की भी पूजा करनी चाहिए। संभव हो तो इस दिन दस फूलों और तिल आदि का दान भी करना चाहिए।

पौराणिक कथा

प्राचीन ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार अयोध्या के सूर्यवंशी राजा सगर ने एक बार अश्वमेघ यज्ञ का अनुष्ठान किया। यज्ञीय अश्व की रक्षा के लिए उनके साठ हजार पुत्र उसके पीछे-पीछे चले। इंद्र ने ईष्र्यावश यज्ञ के अश्व को पकड़वा कर कपिल मुनि के आश्रम में बंधवा दिया। सागर पुत्र जब अश्व को खोजते हुए कपिल मुनि के आश्रम में गए, तो वहां यज्ञ के घोड़े को देखकर ऋषि को भला-बुरा कहा। ऋषि को इंद्र के षड्यंत्र का पता था अतएव उन्हे भी क्रोध आया और उन्होंने हुंकार से राजकुमारों को भस्म कर दिया।

जब बहुत दिन बीत गए और कोई भी राजकुमार लौट कर नहीं आया तो राजा सगर ने अपने नवयुवक पौत्र अंशुमान को उनका पता लगाने के लिए भेजा। उसने घोड़े का पता लगाया और अपने पूर्वजों की दुर्दशा भी देखी। उसे गरुड़ द्वारा यह भी ज्ञात हुआ कि भस्म हुए राजकुमारों का उद्धार तभी हो सकता है, जब स्वर्गलोक से गंगा जी को पृथ्वी पर लाया जाए और इन सबकी भस्मी का स्पर्श गंगाजल से कराया जाए। अंशुमान ने वैसा ही किया। इसके बाद इसी वंश में आगे चल कर राजा दिलीप के पुत्र भगीरथ परम प्रतापी तथा धर्मात्मा राजा हुए। वह गंगा जी को लाने केलिए गोकर्ण तीर्थ में जाकर कठोर तप करने लगे। उन्होंने अपनी कठोर तपस्या से देवताओं को भी विचलित कर दिया। देवों ने ब्रह्मा जी से प्रार्थना की कि वे भगीरथ को संतुष्ट करे। इसके बाद ब्रह्मा जी देवताओं के साथ राजा के पास गए और उनसे अभीष्ट वरदान मांगने को कहा। भगीरथ ने गंगावरतण की प्रार्थना की। ब्रह्माजी ने प्रार्थना स्वीकार कर ली, किंतु यह भी कहा कि गंगा जी की वेगवती धारा को भूतल पर संभालने का प्रबंध तुम्हे करना पड़ेगा। इसके लिए राजा ने घोर तप करके शिवजी को प्रसन्न किया और उन्होंने गंगा की वेगवती धारा को संभालने का कार्य अंगीकार कर लिया। उसके बाद शंकर जी ने अपनी जटा से गंगा जी को रोका और बाद में अपनी जटा को निचोड़ कर बिंदु के रूप में गंगा जी को बाहर निकाला। वह बिंदु शिवजी के निवास स्थान कैलास पर्वत के पास बिंदु सरोवर में गिरा। वहां पर तत्काल गंगाजी सात धाराएं हो गई और वे अलग-अलग दिशाओं में फैल गई।

अथक भागीरथ प्रयत्न

गंगा जी की कृपा से भारत का मानचित्र ही बदल गया है। गंगावतरण के प्रमुख साधक भगीरथ की साधना, तप और अति विकट परिश्रम ने यह अमृत फल प्रदान किया है। उनके इस कठिन प्रयत्न की वजह से ही भगीरथ प्रयत्न एक मुहावरा बन गया है और गंगा जी का एक नाम भागीरथी पड़ गया। गंगावतरण की तिथि गंगा दशहरा के दिन हरिद्वार स्थित हर की पौड़ी में गंगा स्नान, गंगा पूजन और दान का विशेष महत्व है।

Monday 24 June 2013

केंद्रीय विद्यालय के लिए दस एकड़ भूमि की दरकार

लखीसराय में 1987 में तत्कालीन सांसद व केंद्रीय मंत्री कृष्णा शाही के प्रयास से केंद्रीय विद्यालय खुला था। स्थापना काल से ही श्री दुर्गा बालक उच्च विद्यालय के निचले भवन में विद्यालय संचालित हो रहा है। विद्यालय को स्थायी भवन एवं आधारभूत संरचना के विकास के लिए दस एकड़ भूमि की दरकार है। इतने लंबे सफर के बावजूद सत्ता के भागीदार रहे मंत्री, सांसद एवं विधायक की इच्छाशक्ति के अभाव एवं जिला प्रशासन की उदासीनता से विद्यालय के लिए उपयुक्त भूमि उपलब्ध नहीं सकी। अब केंद्रीय विद्यालय संगठन ने विद्यालय के स्थानीय प्रबंधन को पहली कक्षा में नामांकन बंद करने का नोटिस थमा दिया है। इससे विद्यालय के भविष्य पर तलवार लटकने लगी है।
विद्यालय सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दे रखा है, बिना भूमि व भवन के कोई भी केंद्रीय विद्यालय संचालित नहीं होगा। इस कारण लखीसराय समेत राज्य के 14 केंद्रीय विद्यालयों में संगठन ने नामांकन पर रोक लगा दिया है। विद्यालय प्रबंधन ने नामांकन पर रोक लगा देने संबंधित जानकारी विद्यालय के चेयरमैन व जिलाधिकारी, लखीसराय को दे दी है।
                            लखीसराय केंद्रीय विद्यालय लखीसराय में नए शैक्षिक सत्र में केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा नामांकन पर रोक लगाने तथा अबतक विद्यालय के लिए जमीन उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण विद्यालय बंद होने की आशंका को लेकर शहर के प्रबुद्धजन, शिक्षा प्रेमी, विद्यालय के छात्र-छात्राओं में घोर निराशा है तथा हर कोई इसके लिए सरकार व प्रशासन को दोषी मान रहा है। राजनीतिक दिग्गजों का क्षेत्र रहने के बावजूद जमीन खोजने में पहल नहीं करने को लेकर लोगों में काफी क्षोभ है।

क्या इसलिए उत्तराखंड में हुई तबाही?

क्या इसलिए उत्तराखंड में हुई तबाही?

उत्तराखंड में हुई तबाही के बाद अब यह सवाल उठने लगा है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? एक सवाल और यहां पर रह-रहकर उठ रहा है कि जब केदारघाटी में सभी कुछ तबाह हो गया तो फिर केदारनाथ मंदिर कैसे अपनी जगह पर मजबूती के साथ खड़ा रहा? इन सवालों के जवाब में फिर से कई सवाल खड़े हो जाते हैं। गौरतलब है कि इस मंदिर में मौजूद पांडवों की मूर्ति भी यहां आई बाढ़ में बह गई, लेकिन यहां पर मौजूद शिवलिंग जस का तस बना रहा।

नहीं संभले तो खुलेगा शिव का तीसरा नेत्र


अब ऐसे तथ्य निकलकर सामने आ रहे हैं जिन्हें यदि स्वीकार नहीं किया जा सकता है तो नकारा भी नहीं जा सकता है। दरअसल उत्तराखंड में श्रीनगर स्थित धारी देवी को राज्य के लोगों एवं पर्यटकों की रक्षक माना जाता है। लेकिन श्रीनगर विद्युत परियोजना के तहत यहां पर लगी धारी देवी की मूर्ति को 16 जून को हटा दिया गया था, जिसके बाद हमें यह विनाशलीला देखने को मिली है।

संत समाज ने इस मंदिर की मूर्ति को वहां से हटाने का विरोध भी किया था, लेकिन उनके विरोध को नजरअंदाज कर दिया गया। उन्होंने मूर्ति हटने की सूरत में यहां पर आपदा आने की आशंका जताई थी। मूर्ति हटा दी गई और इसके बाद जो कुछ हुआ वह सभी ने देखा। इस बाढ़ में बिजली का वह प्रोजेक्ट भी बह गया जिसके लिए धारी देवी की मूर्ति हटाई गई थी।

इससे पहले वर्ष 1882 में भी एक राजा ने मंदिर के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की थी और उस समय भी इसी तरह का विनाश देखा गया था। उत्तराखंड में आई तबाही के बाद से यहां पर अब तक हजारों लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों की तादाद में लोग अभी लापता हैं। कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि यहां होने वाली तबाही एक सामान्य प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि एक देवी का अभिशाप है।

लोगों का मानना है कि धारी देवी उत्तराखंड के सभी धामों की रक्षक हैं। इसके अलावा वह यहां आने वाले श्रद्धालुओं की भी रक्षा करती हैं। लेकिन बांध बनाने के लिए धारी देवी को उस स्थान से हटा दिया गया जहां वे बरसों से देवभूमि की रक्षा कर रही थीं। मान्यता ये भी है कि हर दिन माता यहां तीन रूप में नजर आती हैं। इसमें पहला रूप कुमारी कन्या, दूसरा रूप युवती का और तीसरा वृद्ध माता का है।

बताया जाता है कि माता के सिर पर छत लगाने की कई कोशिशें की गई लेकिन कभी लगाया नहीं जा सका। वर्तमान मंदिर के स्वरूप में भी माता की मूर्ति के ऊपर छत नहीं है। कहा ये भी जाता है कि जिस दिन धारी देवी को मूल स्थान से हटाया जा रहा था उस दिन भी भयानक तूफान आया था।

Saturday 15 June 2013

कांबिंग आपरेशन


लखीसराय जिला के नक्सल प्रभावित चानन थाना क्षेत्र के कुन्दर हाल्ट के पास आज  घटना के तीसरे दिन भी लखीसराय, जमुई व मुंगेर पुलिस की संयुक्त छापामारी जारी ! दानापुर रेल मंडल के किऊल-झाझा रेलखंड अंतर्गत कुंदर रेलवे हॉल्ट के पास चलती ट्रेन को हाइजैक कर नक्सलियों द्वारा गोलियों व बमों की बारिश करने की घटना के बाद महकमा की नींद खुली है
नक्सलियों के सेफजोन से दूर रहा कांबिंग ऑपरेशन राज्य मुख्यालय के आदेश पर शुरू हुआ कांबिंग आपरेशन नक्सलियों के सेफजोन तक नहीं पहुंच सका।
लखीसराय, जमुई एवं मुंगेर के पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में सीआरपीएफ कोबरा एवं जिला पुलिस बल की गठित अलग-अलग टीम घटना के बाद जंगली एवं पहाड़ी इलाकों में सघन छापामारी जरूर शुरू की। घटना के दूसरे...तीसरे दिन भी पुलिस की टीम घटना स्थल का दौरा कर नक्सलियों के छिपे स्थान का सुराग ढूंढने में ही लगी रही। लेकिन बारिश के कारण छापामारी दल जंगलों में प्रवेश नहीं कर सका।

Friday 14 June 2013

ग्राउंड जीरो पर नक्सल आॅपरेशन

लखीसराय जिला के नक्सल प्रभावित चानन थाना क्षेत्र के कुन्दर हाल्ट के पास आज धटना स्थल का मुआयना करने के लिए दानापुर के डी0आर0एम0, ए0डी0जी0 रेल प्रशासन, लखीसराय जिलाधिकारी , एस0पी0 और जमुईके जिला प्रशासन सहित 131 , 256, 115 के सी0आर0पी0एफ0 बटालियन और जी0आर0पी0, आर0पी0एफ0 के जवान ने संयुक्त रूप से ग्राउंड जीरो पर नक्सल आॅपरेशन चलाया जा रहा है।


 धटना स्थल पर डर और भय के कारण एक भी यात्री नहीं दिखा। ट्ेन के अन्दर यात्री भय के कारण यात्रा नहीं कर रहे थे। जो लोग यात्रा कर भी रहे थे वो भगवान को यादकर कुन्दर हाल्ट जल्दी से पार हो जाने की कामना कर रहा था। ग्राउंड जीरो पर बिल्कुल सुना-सुना सा महौल था।
हर तरफ मायुसी छाया था। इसी बीच वरीय प्रशासनिक पदाधिकारी ग्राउंड जीरो पर पहुंचा ।


बाईट- डी0आर0एम0- दानापुर संभाग
बाईट- यात्री

Thursday 13 June 2013

नक्सल ताडंव

लखीसराय जिला के  नक्सल प्रभावित चानन थाना क्षेत्र के कुन्दर हाल्ट के पास नक्सलीयो ने धनवाद इन्टरसिटी एक्सप्रेस को बनाया बन्धक। नक्सलीयों ने सैकडों राउड गोलीबारी और दर्जनों बमबाजी किया । ये लोग 200 की संख्या में थे जिसमें कई हार्डकोर महिला मारक दस्ता के नक्सली थे ।


 यह कुन्दर हाल्ट -देवाचक- और भलुई हाल्ट के पास 2 धण्टा तक ताडंव मचाता रहा ।


 जिसमें वो 3 लोगों की हत्या कर दिया । और 2 पुलिसकर्मीको अगवा भी कर लिया है।

Wednesday 12 June 2013

कागजी जनता दरबार

सी.एम की नहीं सुनते अधिकारी--आम जनता है परेशान.......कागजी जनता दरबार

सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने  न्याय के साथ विकास की गाड़ी को आगे बढ़ाने तथा जनकल्याणकारी एवं विकासात्मक कार्यो को सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने की दिशा में गांव की ओर कार्यक्रम को धरातल पर उतारने की कवायद शुरू की गई है।
   -सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पटना स्थित संवाद कक्ष से भी सभी जिलों के अधिकारीयों को निर्देश दिया गया था जनता दरबार को धरातल पर उतारने की कवायद शुरू की ।
   -सीएम ने पटना सहित बिहार के अन्य जिलों के डीएम औऱ एसपी वहाँ के जनप्रतिनिधियों को एक साथ मिलकर जनता दरबार लगाने की दिया था आदेश.....लेकिन नहीं हो रहा है आदेश का पालन।
        नए डीएम अमरेन्द्र प्रसाद सिंह  ने जनता दरवार के बारे में कैमरा के सामने कुछ भी बताने से इन्कार कर दिया । और कहा है कि मै अभी ही आया हुं। इसके पहले कौन क्या किया मुझे मालुम नहीं है। हलांकी बैठक कर कुछ नया करने की बात कर रहे थे।
           लखीसराय : नव पदस्थापित जिलाधिकारी अमरेन्द्र प्रसाद सिंह ने अधिकारियों के साथ समीक्षा उपरांत जिले के सभी प्रखंड और अंचलों में जाकर जनता दरबार लगाकर लोगों की समस्याओं को सुनने का निर्णय लिया है। प्रखंड स्तर पर इस जनता दरबार में जिलाधिकारी के साथ पुलिस अधीक्षक भी शामिल रहेंगे। नए जिलाधिकारी की इस पहल से जिले के सुदूर ग्रामीण अंचलों से न्याय की गुहार लगाने के लिए जिला मुख्यालय आने वाले फरियादियों को राहत मिलेगी। जिलाधिकारी के अनुसार प्रखंडों में जनता दरबार के माध्यम से लोगों की समस्या का समाधान होगा तथा सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ उनं तक पहुंच पा रहा है या नहीं इसपर भी नजर रह सकेगी। विदित हो कि सरकार ने प्रखंड स्तर पर बीडीओ, थाना स्तर पर थानाध्यक्ष को भी जनता दरबार लगाने का आदेश पूर्व से दे रखा है। यहां तक प्रत्येक बुधवार को ग्राम विकास शिविर का आयोजन कर जनता की समस्या को सुनकर उसके समाधान की जिम्मेदारी प्रखंड के पदाधिकारियों को दी गई है।
                        लेकिन जिले में अबतक यह अभियान सिर्फ कागजी बनकर रह गया है। अब देखना है कि नए डीएम की इस पहल पर जनता को कहां तक लाभ मिल पाता है।

Tuesday 11 June 2013

अतिपिछडा महासंघ संवाद सम्मेलन

लखीसराय पुराना बाजार धर्मशाला में भारतीय अतिपिछडा महासंघ  संवाद सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में दिल्ली से आए राष्ट्ीय अध्यक्ष कैलाश पाल कहा कि देशभर के सभी राजनीतिक दलों ने अतिपिछडा समाज को केबल ठगने का काम किया है। हम 35 प्रतिशत है फिर भी सभी पार्टी हमें अलग-थलग करके छोड दिया है।
 इसलिए हम इस संवाद में देश के सभी राजनैतिक पार्टीयों में टिकट की हिस्सेदारी के लिए मांग करेगें। अगर वोहमे इससे दुर रखने का प्रयास करेगी तो हम सभी अत्यंत पिछडावर्ग अगामी लोकसभा चुनाव में नेताओं का बहिष्कार करेगें। इस अबसर पर दर्जनों पिछडा वर्ग के नेताओं ने उनके बातों का सर्मथन किया । और आगामी 1 जुलाई को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाॅल में सुबे बिहार के सभी दलो से संबधित अत्यंत पिछडावर्ग के लोग  देश के सभी राजनैतिक पार्टीयों में टिकट की हिस्सेदारी के लिए मांग करेगें।

बाईट- कैलाश पाल- राष्ट्ीय अध्यक्ष- अतिपिछडा महासंघ  

सुरक्षा में अनदेखी

नक्सल प्रभावित क्षेत्र ........   सुरक्षा में अनदेखी

लखीसराय   जिला नक्सल प्रभावित क्षेत्र है जिसमें चानन थाना, कजरा थाना, और शहर के कबैया थाना में में नक्सलीयों ने कईबार अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुकी है।
1- 2008 ई0 में चानन थाना क्षेत्र कुन्दर में एक एक्सप्रेस रेल में नक्सलीयों का तांडव ।
2-- 2009 ई0 में कबैया थाना क्षेत्र के जिला समाहरणालय, एस0पी0 कार्यालय, जिला व्यवहार न्यायालय परिसर में नक्सलीयों ने हमलाकर हार्डकोर एरिया कमांडर नक्सली मिसिर बेसरा को पुलिस के चंगुल से अजाद करवा कर दिन-दहाडे दर्जनों राउंड गोलीबारी,बमबाजी कर 6 लोगों को धायल किया था।
3-- 2010 ई0 में कजरा थाना क्षेत्र के पहाडी और जंगली क्षेत्र में पुलिस पर हमला 12 पुलिस की हत्या, 1 दारोगा की हत्या और दारोगा को 4 को अगवा किया । और 7 दिनों तक बिहार सरकार को चैंलेज करने के बाद 1 जवान लुकस टेटे की हत्या करने बाद रिहा किया ।
ज्ञात हो कि आए दिन इन तीनो थाना क्षेत्र में नक्सली अक्सर धुमते नजर आते है। और अपनी मांग पोस्टर चिपकाकर सरकार और अधिकारीयों चैंलेज देते रहते है। फिर सुरक्षा में अनदेखी बदस्तुर जारी है।


Saturday 8 June 2013

मनरेगा मजदुरों के प्रदर्शन

आज लखीसराय जिला के शहीद द्वार से माले के सैकडों सर्मथकों ने बिहार सरकार नीतीश कुमार और सुशील मोदी के खिलाफ चक्का जाम और बाजार में घुम-धुमकर बन्द करवा कर  बिरोध प्रदर्शन किया ।
 मनरेगा के मजदुरों ने लाठी डन्डा, कुदाल और बटटा लेकर प्रदर्शन किया । सी0ए0जी0 रिर्पोट के अनुसार 35 हजार करोड रू0 की फर्जीनिकासी व घोटाला और लखीसराय जिला प्रशासन के द्वारा मनरेगा मजदुरों को मजदुरी में कटौती बापस लेने,न्युनतम मजदुरी 168 रू0 करने,प्रतिदिन मजदुरी देने, 100 दिनों की देने और नहीं दिये जाने पर उस दिन का बेरोजगारी भता देने की मांग प्रदर्शन के माध्यम से किया गया ।
बाईट- संजय अनुरागी- माले नेता

वट सावित्री व्रत

आज बटबृक्ष के नीचे हजारों सुहागिनों ने अपने पति की दीर्धायु के लिए किया व्रत।
 आज बटबृक्ष के नीचे हजारों सुहागिन महिलाओं ने पारम्परिक परिधान  से सुज्जित होकर शान्ति.स्नेह और सद्भाव के साथ बटसावित्री पुजा किया। जिसमें बट बृक्ष के चारों ओर कच्चा धागा बान्धकर अपने पति की दीर्धायु होने की कामना किया।
 बहीं ब्राहम्णों के द्वारा वट सावित्री  के कथा सुना और उनके द्वारा किये गए पति वर्त धर्म की नियमानुकुल तरीकों से पुजा बिधि को किया । सुबह 8 बजे से लगातार बटबृक्ष के नीचे महिलाओं की जुटना जारी है।

बाईट. रागिनी देवी. श्रद्वालु महिला
बाईट. श्रद्वालु महिला
बाईट. रामरतन मिश्र. पंडित जी

Friday 7 June 2013

बेशकिमती मुर्तियों की अनदेखी

बेशकिमती मुर्तियों की अनदेखी
लखीसराय थाना की पुलिस के गिरफत में है भगवान। दर्जनों बेशकिमती मुर्तियों को थाना के बाहर रख दिया गया है । जिनकी कभी पुजा-पाठ तक नहीं होती है । कहने को तो यह चोरों से बरामद की गई है यहां इसे लेजाने बाला कोई जमानतदार तक नहीं है । इसे ना तो थाना का मालखाना नसीव हुआ और नहीं कोई मंदिर । मजबुरी बस लखीसराय थाना की पहरेदारी करते है भगवान । रहना है तो कुछ करना ही पडेगा ।
लखीसराय में पालकालीन वेशकीमती मूर्तियों की अनदेखी हो रही है लखीसराय में 18वीं सदी के पालवंश कालिन सैकडों बेशकिमती काले पत्थर से बना देवी-देवताओं की मुर्ति जहाॅ -तहाॅ बिखरी पडी है।इस शहर में एक अदद् संग्रहालय तक नहीं है । नतीजतन समय-समय पर इस शहर और जिले के अन्य हिस्सों से मिलनेवाली दुर्लभ मूर्तियाॅ जहाॅ-तहाॅ विखरी पडी है । ऐसी मूर्तियों में से कई तो चोरी भी हो चुकी है ।लखीसराय शहर के साथ ही इस जिले के कई अन्य ग्राम ऐतिहासिक अवशेषों से भरे पडे है ।

बौद्व, सनातन,एवं जैन धर्म के संगम स्थल के रूप में अपने प्राचीन अवशेष और स्मृति पाषाण चिन्हों से अलंकृत इस शहर के रजौनाएवं चैकी ग्राम अपनी ऐतिहासिकता को आज भी स्पष्ट कर रहे है । वर्ष 1977 ई0 में चैकी ग्राम से प्राप्त विशाल शिवलिंग अब यहाॅ सुप्रसिद्व श्री इन्द्रदमनेश्वर महादेव मंदिर का रूप ले चुका है ।इन ग्रामों में से समय-समय पर प्राप्त असंख्य दुर्लभ मूर्तियों में से कई चोरी का शिकार हो चुकी है । और इस चोरी के मामले लखीसराय थाना में दर्ज है । जो मूर्तियाॅ बची हुई है उनमें से कुछ को मंदिर कमिटी ने सहेजकर सुरक्षित कर रखा है । तो कुछ अब जहाॅ -तहाॅ बिखरी पडी हैं ।

 शहर का कवैया मुहल्ला,कालीपहाडी,लाली पहाडी,बालगुदर ग्राम,एवं जिले के कई अन्य ग्राम भी इतिहास के सुनहरे पन्नों में कैद हैं। यहा से भी यदा-कदा बेशकीमतीमूर्तिया मिलती रही है । इनमें से किसी को भी सुरक्षित रखने की व्यवस्था नहीं है ।
                   लखीसराय के ऐतिहासिकता को देखते हुए बर्ष 1981 में यहा एक किराये के मकान में संग्रहालय की स्थापना की गई थी । दो बर्षों के बाद इसे यहा से हटाकर जमुई ले जाया गया । राज्य के कला और संस्कृति विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार लखीसराय संग्रहालय कर्मियों के वेतन, किराये एवं अन्य मद में विभाग द्वारा प्रति वर्ष चार लाख रूपयों से अधिक की राशि मुहैया करायी जा रही है । विभागीय अधिकारी लखीसराय में जमीन या कोई भवन उपलब्ध कराये जाने के लिए समय -समय पर जिले के आलाधिकारीयों से सम्पर्क साधते रहे है ,  ताकि यहाॅ संग्रहालय चालू किया जा सकें , परन्तु अभीतक यह संभव न हो पाने के कारण प्राचीन दुर्लभ मूर्तियां जहां-तहां राम भरोसे बिखरी पडी है । लखीसराय  राजा इंद्रदमन के शासन काल में बसाया गया लखीसराय अपनी धरोहरों को बचाये रखने में भी अक्षम साबित हो रहा है. यहां के प्रबुद्धजनों ने पुरातत्व विभाग व जिला प्रशासन से धरोहरों को बचाने की गुहार लगायी है.
यहां उत्तर में गंगा नदी, पूरब में किऊल नदी, पश्चिम उत्तर कोने पर हरूहर नदी स्थित है. बाबा श्रृंगी ¬षि धाम से निकले मोरवे, महावीर की जन्मभूमि लछुवाड़ के जंगलों से निकली सोमे नदी, भूरहा नदी, बड़हिया टाल के 14 सोते और लखीसराय के 52 तालाब हैं.
लखीसराय जिले के पौराणिक स्थलों का स्थाई रूप से नामकरण या पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कोई पहल राजनीतिक या प्रशासनिक तौर पर नहीं की जा रही है.
नहीं है संग्रहालय
यहां बर्बाद हो रही मूर्तियों के लिए एक संग्रहालय तक नहीं है. इस शहर को मुंगेर जिला से 03 जुलाई 1994 को बिहार सरकार की अधिसूचना जिला पुनर्गठन शाखा संख्या 123 के तहत जिला बनाया गया
  जिले में संग्रहालय की स्थापना के संबंध में ने बताया कि -फिलहाल जिला प्रशासन के पास इसका कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है । उन्होने बताया की, जहाॅ-तहाॅ पडी मूर्तियों की सुरक्षा के प्रबंध जिला प्रशासन करेगा                                  

Thursday 6 June 2013

बाइपास सड़क के कई फायदा

बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बायपास सडक बनाने के लिए शिलान्यास किया  । पटना-किउल-हाबडा मेन लाईन और किउल-गया रेलवे लाईन के उपर राज्य सरकार ने पुल बनाकर सडक निर्माण के लिए 122 करोड रू0 की स्वकृति दिया है। ज्ञात हो कि बायपास सडक दो रेलवे लाईन पार होकर गुजरा है जिसके कारण रेलवे लाईन के उपर से पुल बनाने के बाद ही सम्भव हो सकेगा। लखीसराय में एकलौता लम्बा सडक रहने के कारण जाम की समस्या प्रतिदिन बनी रहती है । अजादी के बाद आज तक सभी नेताओं द्वारा केबल बायपास सडक का सपना दिखाया है लेकिन किसी भी नेता या पदाधिकारीयों का ध्यान नहीं है आये दिन रोज सप्ताहांत में सडक हादसा होता रहता है और प्रशासन मजबुरी जता कर रह जाती है । ज्ञात हो कि इस लखीसराय शहर की 10 किलोमीटर की लम्बी एकलौती सडक से होकर लोग देवघर जाने के लिए , राॅची जाने के लिए, शेखपूरा, बरबिघा, नालंदा, नावादा जाने के लिए ,मुंगेर भागलपुर जाने के लिए, पटना और बेगुसराय जाने के लिए यही एक सिंगल रास्ता है यहाॅ से बिहार के चारों तरफ जाने के लिए रास्ता आती और जाती है । इस शहर के बीचोंबीच मात्र 10 किलोमीटर का सडक अक्सर जाम रहता है जिससे आम और खास दोनों लोग प्रभावित है
                         बाइपास सड़क निर्माण हेतु सम विकास योजना के तहत विमुक्त किए गए साढ़े तीन करोड़ रुपए में से ढाई करोड़ रुपए खर्च कर साढ़े छह किलोमीटर में से डेढ़ किलोमीटर सड़क का निर्माण किया गया। जबकि एक करोड़ रुपए वापस कर दी गई।

 बहीं रास्ता बही जगह और बही आधा-अधुरा सपनों का बायपास सडक दुसरी बार 1 अरब 22 करोड रू0 लेकर लखीसराय बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शिलान्यास किया  है।जिससे  लोगों को लाभ मिलेगा । और तो और बायपास सडक बनने से लखीसराय शहर के लोगों को कई फायदा होगा ।
1..शहर का मुख्य सडक जाम रहने के कारण स्कुली बच्चे सुबह तैयार होकर बस से अपने नियत समय पर पहुंच नहीं पाते है। कभी कभी कई दिनों तक जाम रह जाता है।
2..शहर की गर्भवती महिला प्रसव केदौरान असपाताल जाने केक्रम मेंजाम की समस्या के कारण उन्हे सडको पर ही बच्चे को जन्म देना पड जाता था। बाय पास बनने केबाद इससे फायदा मिलेगा।
3...शादी-ब्याह लगन के दिन अक्सर शहर का मुख्य सडक जाम रहने के कारण स समय  पर दुल्हा की बारात नहीं पहुंच पाती है। और शादी रूक जाती है। बाय पास बनने केबाद इससे फायदा मिलेगा।
4...शहर का मुख्य सडक जाम रहने के कारण अक्सर नो-इन्ट्ी लगा रहता है। जिससे व्यवसायीयों का कच्चा माल ट्क रखे-रखे स समय पर नहीं आ पाता है। जिससे व्यापारीयों का काफी नुकसान हो जाता है।
5...शहर जाम रहने के कारण स्थानीय दुकानदारों की सेल कम होती है। जिससे लोग दुसरे शहर में व्यवसाय के लिए पलायन हो रहे हैं ।  बाय पास बनने के बाद  वो पलायन रूक सकती है।
लोगों को विश्वास नहीं हो रहा है। कि बायपास बन पायेगा या नही


V.O1... लखीसराय बाइपास सड़क  NH:80 से समाहरणालय तक पटना किऊल रेलखंड एवं गया-किऊल रेलखंड पर रेल उपरी पुल (आरओबी) निर्माण की स्वीकृति दी गई है राज्य सरकार ने अपनी राशि खर्च कर बाइपास सड़क पर आरओबी निर्माण कराने का निर्णय ले लिया है जिस पर 122 करोड़ रुपए की लागत आएगी। आम जनता को  लाभ मिल लखीसराय शहर की 10 किलोमीटर की लम्बी एकलौती सडक से होकर लोग देवघर जाने के लिए , राॅची जाने के लिए, शेखपूरा, बरबिघा, नालंदा, नावादा जाने के लिए ,मुंगेर भागलपुर जाने के लिए,पटना और बेगुसराय जाने के लिए यही एक सिंगल रास्ता है यहाॅ से बिहार के चारों तरफ जाने के लिए रास्ता आती और जाती है । इस शहर के बीचों बीच मात्र 10 किलोमीटर का सडक अक्सर जाम रहता है जिससे  लोगों को लाभ मिलेगा ।

निजी कोचिंग संस्थानों की मनमानी


लखीसराय निजी कोचिंग संस्थानों की मनमानी और उसकी चालाकी से सरकार संस्थानों की आधारभूत संरचना एवं पठन-पाठन की हर गतिविधि के प्रति लापारवाह हो चुकी है।  प्रत्येक कोचिंग संस्थानों द्वारा शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता, अध्यापन कार्य का अनुभव, शिक्षण शुल्क के अलावे बेंच-डेस्क, प्रयोगशाला, क्लास रूम में पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था, शौचालय, कर्मचारियों की संख्या नादारत रहने के बाबजुद 20 हजार 25 हजार रू0 प्रति छात्रों से लिया जा रहा है। सरकार इस शिक्षा व्यवस्था के प्रति लापारवाह हो चुकी है।छात्र और अविभावकों की जेब से मोटी रकम की लुट हो रही है।  रसायण विज्ञान की पुरा कोर्सकरने पर 10,000 रू0, जीव विज्ञान और वनस्पति विज्ञान की पुरा कोर्सकरने पर 12,000 रू0 ,भौतिकी विज्ञान की पुरा कोर्सकरने पर 15,000 रू0,गणित शास्त्र की पुरा कोर्सकरने पर 20,000 रू0, बिषयबार मोटी रकम की लुट किया जा रहा है।


इसी तरह अन्य सभी विषय की तैयारी के लिए अलग-अलग चार्ज देने के बाद ही बच्चों की भविष्य सुनिश्चत किया जा सकता है।  बिहार की शिक्षा व्यवस्था चैपट हो गया है। सरकारी स्कुलों और काॅलेजों में पढाई के नामपर  खानापूर्ति हो रहा है। बिहार सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरूस्त करने में विफल है।  लखीसराय जिला में सैकडों अबैध निजि कोचिंग शिक्षण संस्थान कुकुरमुत्ते की तरह खुल गया है। जो किसभी कैरेटेरिया को नही पुरा कर सकता है। लेकिन छात्र और अविभावकों का जेब का आॅपरेशन किया जा रहा है। अविभावक मजबुरी बस छात्र को पढा रहे है।  और अबैध कोचिंग संचालक छात्रों और अविभावकों का बदस्तुर शोषण एवं दोहन कर रहे है।

बाईट- बसंत कुमार- जिला शिक्षा पदाधिकारी
बाईट- ओम प्रकाश - अविभावक
बाईट- नीतेश कुमार- छात्र
बाईट- सुजीत  टिबडेबाल- अविभावक
बाईट- डा0 दिनानाथ गुप्ता- अविभावक
बाईट- धुपेन्द्र साहा - अविभावक

अनशन प्रदर्शन

लखीसराय जिला के बडहिया  के नगर पंचायत अधिकारीयों की मनमानी, कार्य शिथिलता से उबकर नगर पंचायत के विभिन्न योजनाओं अफसर जमकर कमिशन ले रही है। पेंशन योजनाओं मेंअफसर द्वारा  भारी धांधली करने के आरोप में स्थानीय वार्ड पार्षद सदस्य हीरा देवी अमरण-अनशन पर बैठ गई जबकी दर्जनों वार्ड सदस्य इनका सर्मथन में जमकर प्रदर्शन किया ।

गंगाधाट

लखीसराय जिला के बडहिया गंगाधाट किनारे बसने बाली महादलित डोम जाति का हाल-बेहाल है। गंगाघाट में पानी नहीं रहने से श्यमशान घाट भी अब सुना हो गया है। कोई भी व्यक्ति यहां अंतिम संस्कार के लिए नहीं आता है। क्योंकि यहां घाट पर अपराधीयों का जमावडा रहता है।
जबकी कभी यहां प्रतिदिन सैकडों लाश का अंतिम संस्कार हुआ करता था जिसमें यहां प्रतिदिन 50,000 रू0 की कमाई होती थी । अब तो यहां के लोग दाने-दाने को मयस्सर है। बिहार सरकार महादलितों की दशा और दिशा को सम्भालने के लिए कई योजना चला रही है।फिर भी  इनका हाल.बेहाल है।
  जबकी जीवन यापन के लिए बास की कराची फाडकर सुप,मौनी, दौरा, सहित अन्य समान बनाकर गुजर बसर करने को मजबुर है।
 नगर पंचायत बडहिया के अन्र्तगत यह गंगाधाट आता है। जिसका प्रतिबर्ष टेंडर भी होता था। अब वो भी नहीं होता है। जिससे गंगाधाट की स्थिति खराब हो गया है। कोई नेता देखने बाला नहीं है। दबंग नेताओं और अपराधीयों के डर से महादलित परिवार भय और आतंक के महौल में जी रहे है।
Byte 1...महादलित
Byte 2...महादलित