BREKING NEWS

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Monday 30 September 2013

खुलासा

लखीसराय में सर्व शिक्षा अभियान द्वारा जिला कार्यक्रम पदाधिकारी नसीम अहमद ने खुलासा किया है। बाल मजदूरों, विद्यालय से बाहर रहने वाले बच्चों विकलांग बच्चों को शिक्षित करने के लिए उन्नयन केंद्र एवं उत्प्रेरण केंद्र चलाए बिना वित्तीय वर्ष 2009-10 में तीन स्वयंसेवी संस्थाओं ने 10,50,000 रुपए का गबन कर लिया है।

जनता के साथ विश्वासघात

जदयू सांसद सह लोकसभा के मुख्य सचेतक बैद्यनाथ प्रसाद ने कहा है कि भाजपा ने जदयू एवं बिहार की जनता के साथ विश्वासघात किया है। भाजपा द्वारा राजग के राष्ट्रीय एजेंडा को नजरअंदाज करने के कारण जदयू को गठबंधन से अलग होना पड़ा है। सांसद सह लोकसभा के मुख्य सचेतक  लखीसराय स्थित मुकेश महतो के आवास पर कार्यकर्ताओं से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जदयू का विधान सभा कार्यकर्ता सम्मेलन के बाद जिला कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित है। इसके लिए छह टीम बनाई गई है। राजग उत्तर प्रदेश, गुजरात, दिल्ली, कर्नाटक, उत्तराखंड एवं राजस्थान में चुनाव लड़ना चाहते थे। परंतु जदयू को एक भी सीट पर चुनाव लड़ने नहीं दिया गया। कर्नाटक में चुनाव लड़कर जदयू ने एक सीट हासिल किया है। उन्होंने कहा कि सरकार में रहने पर सुशील कुमार मोदी एवं नंद किशोर यादव के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अच्छे थे। परंतु सत्ता से बाहर होते ही नीतीश कुमार बुरे हो गए। यहां तक कि मध्याह्न भोजन एवं चापाकल में जहर डालकर बच्चों की हत्या की जाने लगी। बेतिया एवं नवादा में साम्प्रदायिक दंगा भड़काने का प्रयास किया गया। प्रशासन की सजगता के कारण घटना को टाला जा सका। पूरे बिहार में जदयू कार्यकर्ता सम्मेलन होने पर भाजपा की पोल खुल गई है। उन्होंने कहा कि बिहार में नरेन्द्र मोदी की हुंकार रैली का जदयू पर कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने का भी रास्ता साफ हो गया है। दागी सांसद-विधायक को बचाने वाला अध्यादेश को फाड़ने के कांग्रेस राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के फैसले का उन्होंने स्वागत किया है। उन्होंने भाजपा को साजिश रचने एवं अफवाह फैलाने वाली पार्टी बताते हुए लोगों से उससे सावधान रहने की अपील की है।

सनसनी

नवीनगर के दिनेश साव का पुत्र विक्रम की हत्या से पुरे गांव में सनसनी फैल गया । उसके दोस्त उसे झांसा मारकर ले गया और दुसरे ही दिन उसकी हत्या कर दिया । इसकी सुचना हलसी थाना को दे दिया गया है। अपराधी का नाम बताया गया लेकिन अभी तक दोषी को गिरफतार नहीं किया गया । इधर दिनेश साव के घर में मातमी सन्नाटा पसर गया है। मृतक विक्रम की माॅ का रो-रोकर बुरा हाल है। रोज - व- रोज बेहोश हो जाती है। जबकी उसके बेटा का हत्यारा खुलेआम गांव में घुम रहा है। पुलिस हाथ पर हाथ रखकर बैठा है। मृतक के परिजनों का हाल विगडता जा रहा है। और पुलिस कुछ भी नहीं कर रहा है।
    ज्ञात हो कि हलसी थाना क्षेत्र में सलौंजा गांव के समीप 25.09.13 मंगलवार की रात एक युवक विक्रम कुमार (23) की धारदार हथियार से हत्या कर दी गई। वह पड़ोसी जिले जमुई के नवीनगर गांव निवासी दिनेश साव का पुत्र था। 26.09.13.बुधवार की सुबह लोअर किऊल बराज (एलकेबी) नहर के शिवसोना-साढ़माफ मुख्य केनाल से उसका शव बरामद हुआ। हत्या के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है।

परिजनों के अनुसार शाम में विक्रम के मोबाइल पर किसी का फोन आया। उसी समय वह मोबाइल पर बात करते हुए घर से निकल गया। रात में नहीं लौटने पर उसकी खोजबीन शुरू की गई। उसका मोबाइल भी नहीं लग रहा था। सुबह में हलसी थानाध्यक्ष संतोष कुमार सिंह से सूचना मिली कि विक्रम का शव बरामद हुआ है।
सलौंजा के ग्रामीणों ने बताया, उसी रात नहर की ओर से बचाओ-बचाओ की शोर सुन गांव के कुछ लोग नहर की तरफ गए। लेकिन अंधेरा रहने के कारण ग्रामीण आगे नहीं बढ़ सके। बुधवार की सुबह जब शौच के लिए उधर ग्रामीण गए तो केनाल के पानी में युवक का शव देखा। इसकी सूचना हलसी थानाध्यक्ष को दी गई। मौके पर पहुंचे थानाध्यक्ष ने मामले की छानबीन कर शव को कब्जे में लिया।

 उन्होंने बताया, शव पर धारदार हथियार के कई जगह निशान थे। गर्दन पर भी वार किया हुआ था। युवक के पिता के बयान पर घटना की प्राथमिकी दर्ज की।
बाईट- दिनेश साव - मृतक के पिता
बाईट- चंदन कुमार - मृतक के भाई
बाईट- मां

Sunday 29 September 2013

डर और भय के महौल

लखीसराय जिला के हलसी थाना क्षेत्र के तेतरहाट गांव में मोहतरमा शहनाज बेगम और उसकी 3 बेटीयों पर वुरी निगाह रखने बाला गांव के ही मो0 अहमद और ईदरीश मिंया ने देर रात गलत नियत से घर घुसा और जब वो अपने मंशा में कामयाव नहीं हो सका तो वो जबरदस्ती धर के सारे किमती समान लुट लिया और बाकी समान तितर बितर कर दिया । घर में कुर्बानी के लिए रखे 2 बकरा और दर्जनों मुर्गीयों को उठा ले गए । इस संदर्भ मेंजब हलसी थाना को सुचना दिया तो पुलिस धटनास्थल पर खानापुर्ति कर लौट गया । और विपक्षी अहमद से मोटी राशि लेकर मामला को दवा दिया है। लेकिन अभी भी मोहतरमा शहनाज और उसकी बेटी फरजाना परवीन , रानी, आदी डर और भय के महौल में मर- मर कर जी रही है। पुलिस इस मामले में मिडिया से कुछ भी बोलने से मना करती है।

बाईट- फरजाना परवीन - पिडित बेटी

बाईट- मोहरमा शहनाज - पिडित मां
 

जद यु0 का जिला महा सम्मेलन

लखीसराय जद यु0 का जिला महा सम्मेलन में बिहार प्रदेश के 2 दर्जन जद यु0 नेता और कई कैबिनेट मिनिस्टर भाग लिया ।

 अगामी लोकसभा चुनाव में मजबुती से धरातल पर उतरने के लिए जद यु0 का जिला महा सम्मेलन हुआ शुरू हो गया ।

बिहार में सम्प्रदायिक सद्भाव का महौल विगाडने के लिए भाजपा को मुंहतोड जबाब देने के लिए जद यु0 जिला स्तर के कार्यकर्ताओं के जमीन बनाने के लिए यह सम्मेलन किया जा रहा है। मुख्य रूप से बिहार प्रदेश जद यु0 के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी और प्रवक्ता नीरज कुमार सहित 2 दर्जन प्रदेश नेताओं ने भाग लिया । इस अबसर पर जिला के हजारों- हजार कार्यकर्ता भाग लिया ।

बाईट- शिवानंद तिवारी ...जद यु0 के वरिष्ठ नेता

Saturday 28 September 2013

गिरिराज सिंह ....भाजपा के फायर विग्रेड नेता

लखीसराय जिला के बडहिया में भाजपा के फायर विग्रेड नेता गिरिराज सिंह अपने आवास पर प्रेस वार्ता में बताया कि केन्द्र सरकार की अध्यादेश देश को भ्रमित करने बाला अध्यादेश है। काॅग्रेस सोनिया और राहुल गांधी की रहमो करम पर जिन्दा है।
उन्होने बताया कि हुंकार रैली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कोई जरूरत नहीं है। मेरे आंगने में तुम्हारा क्या काम है। जैसे हिन्दुस्तान के लिए पाकिस्तान धोखेबाज है। ठिक उसी तरह नीतीश कुमार भी पाकिस्तान के माफिक धोखेबाज है। वो लालु , देवगौडा, जार्ज, और भाजपा सभी के पीठ में छुरा घोंपा है। अब भाजपा नीतीश से अलग होकर शकुन महशुस कर रही है।

Byte...गिरिराज सिंह ....भाजपा के फायर विग्रेड नेता

हम मुश्किल को मन्जिल समझते है

लोग मन्जिल को मुश्किल समझते है,

हम मुश्किल को मन्जिल समझते है,

बडा फरक है लोगो मे ओर हम मै,


लोग जिन्दगी को दोस्त ओर
हम दोस्त को जिन्दगी
समझते है.

डेंगू से बचाव के उपाय

डेंगू से बचाव के उपाय

-घरों में कूलर, गमले, टायर या छत या बगीचे में पड़े सामानों में पानी जमा होने दें।

-घर के आसपास साफ-सफाई रखें और ध्यान दें कि कहीं पर भी जलभराव तो नहीं हो रहा।

-कई बार वेस्टर्न कमोड में जमा पानी में भी डेंगू के लार्वा पनपते हैं इसलिए इसमें दवा डालें।

-एडीज मच्छर दिन में यानी सूयरेदय के तत्काल बाद और सूर्यास्त से पहले अधिक सक्रिय रहते हैं इसलिए ऐसे वक्त में सबसे अधिक सर्तक रहें।

-पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें और शरीर पर मच्छर भगाने वाली दवा भी लगाई जा सकती है।

-मच्छरदानी में सोएं और मच्छर भगाने वाले उपकरणों का उपयोग करें।

-डेंगू के लक्षण जैसे बुखार, सिरदर्द, पेटदर्द, त्वचा पर चकले, उल्टी जैसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत जांच करवाएं।

-डेंगू की पुष्टि होने पर घबराए बिना चिकित्सक की सलाह पर अमल करें।

-ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ लें ताकि शरीर में पानी की कमी किसी हाल में हो।


 
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दिल की बीमारियों से दूर रखता है अखरोट

दिल की बीमारियों से दूर रखता है अखरोट

हालिया शोध में पता चला है कि रोजाना अखरोट खाने से डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा काफी कम हो जाता है।

कनेक्टिकट स्थित येल ग्रिफिन प्रिवेंशन रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं के मुताबिक, रोज 56 ग्राम अखरोट के सेवन से अधिक वजन वाले वयस्कों के शरीर की आंतरिक प्रक्रिया में सुधार आता है। इस शोध में 30 से 75 साल के 46 वयस्कों को शामिल किया गया था। प्रतिभागियों का बॉडी मास इंडेक्स 25 से भी अधिक था। इनमें पुरुषों की कमर 40 इंच महिलाओं की कमर 35 इंच थी। शोध से पहले शर्त रखी गई थी कि प्रतिभागी धूमपान करता हो लेकिन ज्यादातर को पाचन संबंधी बीमारियों और डायबिटीज से पीड़ित होना चाहिए। प्रतिभागियों को रोजाना नाश्ते में 56 ग्राम अखरोट दिया गया जिससे उनके स्वास्थ्य में पहले से सुधार देखा गया। प्रमुख शोधकर्ता और येल ग्रिफिन प्रिवेंशन रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉक्टर डेविड केट्ज ने कहा, खाने की आदतों को बदलना मुश्किल है, लेकिन उसमें सुधार किया जाना जरूरी है। यह शोध 'जर्नल ऑफ अमेरिकन कॉलेज ऑफ न्यूट्रिशियन' में प्रकाशित हुआ है।

Saturday 21 September 2013

मौत...सडक़ पर तांडव

लखीसराय शहर के कवैया थाना क्षेत्र के अष्टघटी मोड़ पर देर रात नौ बजे एक बेकाबू ट्रक ने बाइक सवार व्यवसायी विजय साह को कुचल दिया। मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
 इस घटना में व्यवसायी की साथ उनकी पत्नी गंभीर रुप से जख्मी हो गई। उसे पटना रेफर कर किया गया है। अपडेट यह है कि मोटर साईकिल पर सवार दोनों पत्नी और पति की मौत हो चुकी है


 मृतक व्यवासयी नया बाजार दाल पट्टी मोहल्ले निवासी चैंबर ऑफ कॉमर्स के जिलाध्यक्ष रामचन्द्र साह का बहनोई था।
          घटना के वक्त व्यवसायी अपनी पत्नी के साथ बाजार से वापस घर लौट रहे थे। घटना से आक्रोशित लोगों ने सडक़ पर जम कर तांडव मचाया और एक के बाद एक २२ ट्रक को आग के हवाले कर दिया। अष्टघटी मोड़ से रेलवे स्टेशन चौंक तक की एक किमी की दूरी में २२ ट्रक धू-धू कर जल गए।


आगजनी की घटना में पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मौन रही। आलम यह रहा कि घटना के दो घंटे बाद करीब ११ बजे एसपी राजीव मिश्रा भारी संख्या में पुलिस बलों के साथ घटनास्थल पर पहुंच कर कैम्प कर रहे हैं। बावजूद उपद्रवी हटने का नाम नहीं ले रही है।

 अभी स्थित और भी काफी तनाव पुर्ण हो गया है। जो पटना रेफर कर दिया गया था । वो भी जाने के क्रम में रास्ते में ही दम तोड दिया । अपडेट यह है कि मोटर साईकिल पर सवार दोनों पत्नी और पति की मौत हो चुकी है। और शव को नया बाजार अष्टघटी मोड स्थित मेन रोड पर रखकर परिजनों ने सडक जाम कर दिया है।
 जिला के एकमात्र इकलौता सडक पर सैकडों ट्क जैसे तैसे खडी है। ज्ञात हो की यहां कोई बायपास सडक नहीं है। और इसी सडक पर पटना, मंुगेर, जमुई,शेखपुरा, देवघर, राॅची जाने के लिए यही एक मात्र सडक है। और उसपर बालु के लिए सैकडों ट्क की अफरा-तफरी में लम्बी लाईन लगी है। और उसपर भी सडक जाम आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। पुरा पुलिस तंत्र शहर के मुख्य सडक पर उतर गया है। जिला के सभी थाना के थाना प्रभारी सहित सैकडों पुलिस जाम हटाने की जददो जहद में जुट गई है। जिलाधिकारी पिडित परिजनों से मिलकर पारिवारिक लाभ के तहत 30 हजार रू0 दिया है। लेकिन परिजनों ने उनके 3 छोटे-छोटे बच्चों की पढाई की खर्चा सरकार उठाये और रहने खाने की जिम्मेदारी भी जिला प्रशासन उठाए ।
अभी महौल गरमा गरम है। पुरा शहर के लोग सडक पर उतर गया है। शहर में पुलिस छावनी में तब्दिल हो गया है। जिला ट्क आॅर्नस एसोशियेशन के सैकडों लोगों ने बालिका विद्यापीठ चौक  एन0 एच0-80 को जाम कर दिया है। लखीसराय से बडहिया तक कुल हजारों गाडी इस जाम में फंसा है।  
बाईट- सुबोध कुमार विश्वास- एस0डी0पी0ओ0

एन0 एच0-80 जाम

लखीसराय जिला ट्क आॅर्नस एसोशियेशन के सैकडों लोगों ने बालिका विद्यापीठ चौक  एन0 एच0-80 को जाम कर दिया है। लखीसराय से बडहिया तक कुल हजारों गाडी इस जाम में फंसा है। ज्ञात हो कि यह जाम सुबह नौबजे से लगातार जारी है। ट्क मालिकों का यही मांग है कि ट्क जलाने वाले असामाजिक तत्वों को अतिशीघ्रगिरफतार कर कड़ी से कड़ी कानूनी कारवाई की जाए। और जले हुए ट्क का मुआवजा जिला प्रशासन दें। तभी सड़क जाम हटाये जायेंगें। जिलाधिकारी पुलिस अधिक्षक सहित सौकडा़े पुलिस कर्मी इस जाम को हटाने के लिए जदोजहद में जुट गयी है। लेकिन अभी तक जाम बदसतुर जारी है।

बाईट: ओम सिंह - ट्क मालिक ..  सह लोजपा नेता।

आत्मदाह

लखीसराय हलसी थाना क्षेत्र के बराहरा गांव के निवासी शिवश्ंकर पासवान दिया आत्मदाह की धमकी । ज्ञात हो कि शिवश्ंकर पासवान ग्रामिण कार्यविभाग कार्यप्रमंडल शेखपुरा में जंजीर वाहक के रूप में पदस्थापित रहते हुए टंकक के रूप में कार्य लिया गया लेकिन उन्हे 1989 से आज तक पैमेन्ट नहीं मिला जिससे वो आर्थिक तंगी के शिकार है। कई विभाग के कार्यपालक अभियंता उन्हे पैमेन्ट देने की बात कर नहीं दिया और अब वो रिटायर भी हो गए ।
अब वो पैसा पैसा के लिए मर रहे है। बेटी का शादी करनी है। अगर सरकार उन्हे समय रहते मदद नहीं किया तो  वो अगामी 2 अक्टुवर तक सी0एम0 निबास के सामने आत्मदाह कर लेगें।

Wednesday 18 September 2013

स्लम बस्तियों में जाकर लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक कराए।

लखीसराय ! बिहार सरकार ने वर्ष 2007 में ‘हमे भी पढ़ाओ’ योजना का क्रियान्वयन किया था। इसके तहत पुलिस को स्लम बस्तियों में रहने वाले गरीब बच्चों का स्कूल में दाखिला कराने की जिम्मेदारी दी गई थी। स्थानीय थाना पुलिस को निदेशित किया गया था कि वे अपने क्षेत्र के स्लम बस्तियों में जाकर लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करे और नि:सहाय व निर्धन बच्चों का स्कूल में नामांकन कराए। विडंबना यह है कि इस योजना के बारे में अधिकांश पुलिसकर्मियों को जानकारी तक नहीं है।
                  सूत्रों की मानें तो खानापूर्ति के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के थानेदार अपने इलाके के प्राथमिक व मिडिल स्कूल की सांठ-गांठ से वहां नामांकन कराने वाले कुछ बच्चों का दाखिला अपने नाम पर करवा लेते हैं। इसके बाद माहवार आंकड़ा तैयार कर क्राइम मीटिंग में पुलिस कप्तान को सुपुर्द कर देते हैं। हालांकि शहरी क्षेत्र के थानेदार तो खानापूर्ति करने की भी जरूरत नहीं समझते। वे बेखौफ होकर महीने के अंत में अपने प्रतिवेदन में ‘शून्य’ लिखकर जमा कर देते हैं।
                                पुलिस कप्तान भी आखिर करें तो क्या ? पुलिसिंग जो करवानी है। और अगर, क्राइम मीटिंग में जवाब मांग दिया तो थानेदार कहते हैं - ‘सर, बहुत प्रेशर है। थाने में बल की भी कमी है। अपराधी तो पकड़ा नहीं रहा, बच्चों को कैसे स्कूल पहुंचाएंगे।’ जवाब ऐसा मिलता है कि पुलिस कप्तान भी चुप्पी साध लेते हैं। थानेदारों की मानें तो बल की कमी के कारण ना तो पुलिसिंग हो पाती है और ना ही सामाजिक कार्य। यही वजह है कि लंबित मामलों का निष्पादन तक नहीं हो पा रहा है।

कला जत्था रवाना

लखीसराय जिला लोक शिक्षा समिति के तत्वाधान में आज शिक्षा अधिकार कानुन की आम लोगों के बीच जागरूकता लाने के लिए कला जत्था को जिला शिक्षा पदाधिकारी ने हरी झण्डी दिखाकर गांव की ओर
रवाना किया । जिले के सभी पंचायत में यह कलाकारों की जत्था अपनी अद्भुत कला के माध्यम से आम नागरिकों , अविभावकों , छात्र-छात्राओं के बीच शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के सभी विषय वस्तु की जानकारी प्रदान करने के उददेश्य से बारह कलाकारों की एक दल निकल गया है।
बाईट- सुरेश प्रसाद - सचिव , जिला लोक शिक्षा समिति  

जननी बाल सुरक्षा योजना

लखीसराय जिले के सदर अस्पाताल में राष्ट्ीय स्वास्थ्य ग्रामिण मिशन के अन्र्तगत मिलने बाली सरकारी राशि नहीं दिये जाने के खिलाफ जमकर धेराव किया ।

 आशा कार्यकताओं की विगत 1 बर्षो से प्रतिमाह मिलने बाली राशि नहीं मिल रहा है। वो भुखे-प्यासे दिन दिनभर और रात भर सेवा करने के बाद भी कोई ध्यान नहीं है। विभाग के लोग आशा को निराशा करके छोड दिया है। आशा की कार्यकताओं ने इस विरोध के स्वर को सिविल सर्जन दवाना चाहा ।
  आज सारी समस्या को जिलाधिकारी को सुनाया ।
         लखीसराय जननी बाल सुरक्षा योजना का लाभ नही मिल रहा है। --सरकारी अस्पतालों में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य से चलाई जा रही जननी बाल सुरक्षा योजना अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ रही है। विदित हो कि सरकारी अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव व संस्थागत प्रसव का बढ़ावा देने के उद्देश्य से जननी बाल सुरक्षा योजना लागू की थी। इसके लिए सरकार के निर्देशानुसार गांव स्तर पर आशा कार्यकर्ताओं की बहाली की गई थी। संस्थागत प्रसव के दौरान प्रसूता को 1400 की राशि दी जाती है। जबकि आशा को चार सौ। इसके लिए मरीज को अस्पताल लाने के लिए दो सौ रुपये बतौर किराया के रूप में दिया जाता है। प्रसव के बाद प्रोत्साहित राशि के लिए अधिकारियों के पीछे-पीछे दोड़ना पड़ता है। अनेक अस्पतालों में कई वर्षो से फर्जी प्रसव का इंट्री कराकर राशि की बंदरबाट भी की जा रही है।

     अभी विगत कई महीनों से प्रसव कराने आई महिलाओं को भी 1400रू0 नहीं दिया गया है। विभागीय गडवड झाला है। इस पर कोई कुछ नहीं बोलना चाहता है। प्रसव कराने आई महिला को पहले जमीन पर धण्टो लेटा कर छोड दिया जाता है। जब ज्यादा दर्द या परेशानी होती है तब उसे विना चादर के वेड पर लिटा दिया जाता है। जबकी यह राशि 48 धण्टा के अन्दर प्रसव की महिला को मिल जानी चाहिए । और आशा को भी तुरन्त मिलनी चाहिए परन्तु ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है। यह अस्पताल भगवान भरोसे चल रहा है।


बाईट- अमरेन्द्र प्र0 सिंह- जिलाधिकारी
बाईट- विन्दु देवी - आशा कार्यकर्ता
बाईट- प्रेमलता - आशा कार्यकर्ता 1
बाईट- चन्द्रकला -आशा कार्यकर्ता 2
बाईट- डा0 अशोक कु0 सिंह - चिकित्सक

बेहतर संबंधों की 10..10 कोशिशें


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पुरुष पक्ष
1. फूल और उपहार आप खास मौकों पर तो हमेशा देते है, लेकिन कभी-कभी अचानक बिना मौके के भी यदि पत्नी को देकर चौंका दें तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा। वह आपकी भावनाओं को समझेगी और जो आप व्यक्त करना चाहते है उसे बेहतर ढंग से जान पाएगी।
2. बेहद सामान्य भाव से पूछे कि उसका दिन कैसा रहा और उसने क्या किया? जवाब ध्यान से सुनें। याद रखें कि स्त्रियां अपने व्यक्तिगत मुद्दों पर बात कर उत्साहित होती है। वे इस बात से भी खुश होती है कि उनका साथी उनकी योग्यता और व्यवहार की तारीफ करे। बातचीत के दौरान वे अपनी रुचियों और समझ का परिचय भी दे देंगी। उनकी बात पर विशेष ध्यान दें और उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करे।
3. स्त्री के लिए यदि पति कोई व्यंजन बनाए तो उसका आनंद देखते ही बनता है। हर रोज किचन संभालते-संभालते आपकी पत्नी इतना उकता चुकी होती है कि यदि आप उसे सप्ताह में एक बार भी खाना बनाने का ऑफर दे दें, तो उसकी खुशी का अंदाजा आप नहीं लगा सकते। चिंता मत करिए, यदि आपको कुकिंग नहीं आती तो भी कोई मुश्किल नहीं आजकल ढेरों रेसिपी किताबें तथा इंटरनेट पर अनेक साइटे उपलब्ध है, जो आपकी मदद करेगी। इनमें से किसी एक का अनुकरण कर लें लेकिन ध्यान से।
4. छोटे-छोटे यादगार लम्हों को सेलिब्रेट करना स्त्रियों को अच्छा लगता है। लेकिन यदि आप शादी की वर्षगांठ याद रखें और उसे उत्साह से सरप्राइज पार्टी के रूप में मनाएं तो उसकी खुशी दुगनी हो जाएगी।
5. उसकी आशा के विपरीत उसकी तारीफ में कुछ वाक्य बोलकर उसे प्रसन्न कर दीजिए। स्त्रियां तारीफ पसंद करती है। वे अपनी पूरी ताकत अपने कामों को बेहतर तरीके से करने में इसीलिए लगाती है कि उनकी तारीफ हो। आप उसके प्रयासों को देख रहे है तो तारीफ करने में कंजूसी मत बरतिए। देखिएगा कि वह जितनी सुंदर है आपकी तारीफ से और खूबसूरत नजर आएगी। केवल शारीरिक सौंदर्य नहीं बल्कि उसकी आदतों और व्यक्तित्व के गुणों का बखान भी करिए।
6. आप भी उस घर का अभिन्न हिस्सा है जहां आपकी पत्नी सारा दिन लगा उसे सजाती व बनाती है। इस भावना को समझते हुए उसे पूरा सहयोग दें तथा उससे सलाह लें। इससे जहां काम में आसानी व क्वालिटी आएगी, वहीं उसकी नजरों में आपके लिए सम्मान भी बढ़ेगा।
7. उसके परिवार और मित्रों में घुलने-मिलने की कोशिश करे। स्त्री को रिश्तों की कद्र होती है तथा उसे इस बात से ज्यादा खुशी होगी कि आप उन लोगों के साथ अच्छा व्यवहार कर रहे है जो उसकी जिंदगी में महत्वपूर्ण व्यक्ति है। उनके प्रति सद्भावना दिखा आप पत्नी के प्रति अपने प्यार को ज्यादा बेहतर तरीके से व्यक्त कर पाएंगे।
8. यदि आप दोनों में से कोई दूर नहीं तो भी आप उसे प्यार भरा खत ईमेल पर भेज सकते है। देखिएगा कि वह हर दिन उम्मीद से अपना मेल चेक करेगी। आप हर रोज फोन द्वारा भी संपर्क मजबूत कर सकते है। छोटी-छोटी बातों से उसे आपकी भावनाओं का एहसास होगा।
9. कभी अचानक उसके पास पहुंच उसे लंच का निमंत्रण दे दें। स्त्रियों को ये प्यार भरे आश्चर्यजनक क्षण बेहद रोमांचित कर देते है। थोड़ा सा अच्छा समय आपके साथ बिता कर वह खुश होगी और आपके प्रति समर्पित भी। अकसर स्त्रियां अपना लंच भुलाकर काम में लगी रहती है। ऐसे में अचानक आपका आना और आधा घंटा ऑफिस से दूर बिताना उसकी सेहत और खुशी दोनों के लिए फायदेमंद होगा।
10. यदि वह लंबे समय से कहीं जाना चाह रही थी तो अचानक योजना बना उसे आश्चर्यचकित कर दें। जरूरी नहीं कि इस सबके लिए आपको ढेर सा पैसा और बहुत सा समय चाहिए। यह काम आप छोटे वीकेंड ब्रेक में सीमित बजट में भी कर सकते है।
बहुत से रास्ते है जिन पर चलकर आप अपने जीवन की सबसे विशिष्ट स्त्री को पहले से कहीं अधिक खुश और संतुष्ट रख सकते है। छोटी-छोटी बातों से आप जता सकते है कि आप उसे कितना प्यार व कितनी चिंता करते है।
स्त्री पक्ष
ऐसा नहीं कि ये सलाहें केवल पति के लिए है। ऐसे बहुत से रास्ते आपके लिए भी है, जो आपके प्रयासों को और बेहतर साबित करेगे तथा उनकी नजरों में आपका प्यार, समर्पण और सम्मान भी बढ़ाएंगे।
1. उनकी रुचियों को जान उसमें अपनी रुचि जागृत करे और उसके बारे में अपना ज्ञान बढ़ाएं। जैसे पुरुष अपने वाहन को लेकर बहुत सजग रहते हैं। यह उनका पसंदीदा शगल है। जैसे यदि वह कार खरीदने जा रहे है तो कुछ कारों के बारे में किसी डीलर से सारी सूचनाएं एकत्र कर दें और बताएं कि कौन सी कार क्यों बेहतर रहेगी। वह हैरान रह जाएंगे आपकी काबिलीयत देखकर। उनकी दिन भर की दिनचर्या को देखकर सुविधाओं का ध्यान रखें।
2. घरेलू जिम्मेदारियां स्त्रियां अपने ऊपर ले लेती है। लेकिन उन्हे निभाते-निभाते परेशान भी हो जाती है। इसलिए थोड़ी सी योजना बनाकर काम करे, जिससे हर काम व्यवस्थित व बेहतर तरीके से हो सके। जैसे घर में प्रवेश करते ही बाहर लॉन अव्यवस्थित देख पति का पारा ऊपर चढ़ जाएगा। इसलिए इसे साफ करने का एक दिन निश्चित कर लें। वह आपकी कोशिश को देख खुश हो जाएंगे और आपकी सराहना करेगे।
3. उस गैजेट को अचानक खरीद लाइए जिस पर आपके पति की नजर बहुत दिनों से है। पुरुषों को गैजेट्स के नवीनतम उत्पाद अकसर आकर्षित करते है। यह उनके लिए लाजवाब तोहफा होगा। यह उपहार आपकी उनके प्रति समर्पण और प्रेम को भी प्रकट करने में सहायता करेगा। वह सोचेंगे कि आप इनसे संबंधित उनकी बातों को कितने ध्यान से सुनती होंगी। अब आप जान पाई कि वह इससे कितने खुश हो सकते है।
4. किसी भी पुरुष को ऊर्जावान बनाए रखने में छोटी-छोटी आउटिंग और डेट्स बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ऐसे में जब आप इसकी ठीक से प्लानिंग करेगी तो वह खुश हो जाएंगे। सामान्यत: स्त्रियां ये काम नहीं करतीं। अकसर ये काम पुरुष ही करते है। इसलिए आपके प्रयास तेजी से असर डालेंगे। इससे पति जहां जीभर एंजॉय करेगा, वहीं तनावरहित भी रहेगा।
5. उनके ऑफिस में अचानक पहुंचकर उन्हे आश्चर्य में डाल दें और उन्हे लंच बाहर करने की ऑफर दें। थोड़े समय के लिए काम से हटना और आपके साथ समय बिताने से वह न केवल खुश होंगे बल्कि रिलेक्स भी होंगे।
6. शॉपिंग करते समय उनकी पसंद की कोई पत्रिका या किताब खरीद लाइए। उन्हे खुशी होगी यह जानकर कि आप उनकी पसंद और रुचि को बेहतर जानती-समझती है। हो सके तो उनके पसंदीदा शौक पर समय लगाइए भले ही उस काम में आपकी बहुत रुचि न हो।
7. यदि आप अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति के पसंदीदा खेल के बारे में जान जाएं तो और भी अच्छा होगा। उन्हे आपके साथ अपने पंसदीदा खेल को देख या उसके बारे में बात कर बेहद संतोष होगा। हो सकता है कि आपकी रुचि उस खेल में न के बराबर हो, लेकिन आपकी कोशिश रंग लाएंगी। यदि कुछ सवाल पूछेगी तो भी उन्हे बहुत अच्छा लगेगा। वह आपकी भावनाओं की कद्र करेगे और आपके विचारों की सराहना भी करेगे।
8. अचानक खरीद कर दिया बुके भी उन्हे खुश कर देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अकसर स्त्रियां फूल खरीदने के लिए किसी खास अवसर का इंतजार करती है। ऐसे में अचानक बिना कारण दिए गए फूल बहुत दिन तक रिश्तों को महकाते रहेगे।
9. भले ही आपकी पसंद संगीत के मामले में अपने पति से भिन्न हो, लेकिन यदि आप उनके पसंदीदा गायक के कॉन्सर्ट की टिकटे ले आएं या सीडी उपहार में दें तो उनकी खुशी का अंदाजा आप नहीं लगा सकतीं। भले ही संगीत में आपकी रुचि न हो, लेकिन उनकी खुशी के लिए यह प्रयास कामयाब नुसखा है। वह बेहद उत्साहित होंगे जब आप उनके साथ उनकी पसंद में शामिल होंगी।
10. उस व्यंजन को बनाना सीख लें जो उन्हे बेहद पसंद हो। भले ही इसे सीखने में आपको कितनी भी कठिनाई आए। यह कहावत कि पुरुषों के दिल का रास्ता उनके पेट से होकर जाता है, एकदम सही है। आपकी मेहनत वसूल हो जाएगी जब आप उनके मुंह से तारीफ सुनेंगी।
कुछ भी अलग और अच्छा करने में कोई खास मुश्किल नहीं आती। इन आसान प्रयासों से आप अपने विचारों और भावनाओं को बेहतर ढंग से व्यक्त कर पाएंगी। आपके पति जान पाएंगे कि वह भी आपके लिए महत्वपूर्ण है।

तकरार में है हार



रुपया-पैसा, नौकरी, सास-ससुर, बच्चा न होना या विवाहेतर संबंध.., वे कौन से कारण हैं जो विवाहित जीवन में सेंध लगा कर उसकी खुशियां चुरा लेते हैं? आश्चर्यजनक रूप से इनमें से कोई भी समस्या इतनी गंभीर नहीं जितनी नैगिंग की समस्या।
बार-बार टोकने व तंग करने की यह आदत एक सीमा के बाद रिश्तों में दरार डालने लगती है। द वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक रिश्तों में चीटिंग से भी अधिक खतरनाक साबित होती है नैगिंग।
क्या है नैगिंग
'उफ! गीला टॉवेल फिर से बिस्तर पर..,' 'कपड़े यहां-वहां क्यों फेंके हैं?' 'जूते की जगह ड्राइंग रूम में नहीं, शू रैक में है, ये गंदे मोजे कब तक लॉन्ड्री से बाहर रहेंगे..?'
हममें से अधिकतर स्त्रियां लगभग रोज ऐसे वाक्य दोहराती नजर आती हैं। व्यवस्थित होना, स्वच्छता रखना, हर काम को बखूबी संभालना, अनुशासन रखना.. ये कुछ गुण खासतौर पर स्त्रियों में होने जरूरी समझे जाते हैं। लेकिन जब आदतें ऑब्सेशन बन जाएं और दूसरा पक्ष लगातार लापरवाही, सुस्ती और आरामतलबी दिखाता रहे तो झगड़ा होना तय है।
एक पक्ष लगातार दूसरे को आदेश देता रहे, उसे टोकता रहे, ताने देता रहे जबकि दूसरा पक्ष उसे नजरअंदाज करता रहे। साथ ही दोनों अपनी-अपनी जिद पर अड़े रहें तो झगड़ा बढ़ने लगता है। यूं तो ऐसे झगड़े लगभग हर दंपती के बीच होते हैं, लेकिन जब कोई पक्ष झुकने को तैयार न हो और झगड़े रोज होने लगें तो समस्या गंभीर हो जाती है। यह क्रूरता की हद तक बढ़ने लगती है और रिश्ते का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
गुड़गांव की लाइफस्टाइल एक्सपर्ट डॉ. रचना खन्ना सिंह कहती हैं, 'दुर्भाग्य से इस तरह के झगड़ों की शुरुआत अकसर स्त्रियां करती हैं। इसका एक कारण यह है कि घरेलू जिम्मेदारियां उन पर पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक होती हैं।'
इसका अर्थ यह नहीं है कि पुरुष नैगिंग नहीं करते। आमिर खान के चर्चित टीवी शो 'सत्यमेव जयते' के घरेलू हिंसा से जुड़े एक एपिसोड में कुछ पुरुषों ने स्वीकारा कि खाना न बनाने, रोटी खराब बनाने जैसी छोटी-छोटी बातों को लेकर भी वे पत्नी को तंग करते हैं, ताने देते हैं और अकसर मारपीट करते हैं।
रार से पड़ती है दरार
द वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित इस शोध ने कई बहसों को भी जन्म दिया है। यूएस स्थित सेंटर फॉर मैरिटल एंड फेमिली स्टडीज के सह-संस्थापक व मनोवैज्ञानिक प्रो. हॉवर्ड मर्खम कहते हैं, 'जो लोग वैवाहिक जीवन के पांच साल नाखुश होकर बिताते हैं, उनके बीच नकारात्मक संवाद 20 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यह सच है कि किसी भी अन्य बात की तुलना में नैगिंग प्यार को ज्यादा नष्ट करती है। लगातार टॉक्सिक कम्युनिकेशन जारी रहे तो रिश्ते का 'दि एंड' होते देर नहीं लगती।'
खत्म करें इस आदत को
अच्छी खबर यह है कि नैगिंग की आदत को खत्म किया जा सकता है। इस व्यावहारिक समस्या को व्यावहारिक बुद्धि व सोच से ही सुलझाया जा सकता है। डॉ. सिंह कहती हैं, 'यूं तो नैगिंग सामान्य बातचीत जैसी दिखती है, लेकिन रिश्तों का यह नेगेटिव पैटर्न लंबा खिंचता रहे तो परेशानी बढ़ जाती है। क्योंकि इसमें एक पक्ष लगातार दूसरे की आलोचना करने लगता है। बातचीत के ऐसे नकारात्मक तरी़के को जितनी जल्दी हो, बदलना चाहिए। आपस में बैठ कर संवेदनशील होकर मूल समस्या के बारे में चर्चा करनी चाहिए।' क्या हो व्यावहारिक तरीका बातचीत का, आइए देखें-
आदेश या निवेदन
अपने स्वभाव को बदलें। व्यवहार में नरमी बरतें और आदेश देने के बजाय विनम्रता से अपनी बात कहें। बात कहने के सही तरीके पर विचार करें। 'क्या तुम इस हफ्ते में किसी दिन बिजली का बिल जमा कर दोगे, ताकि पेनल्टी न लगे..,' यह है सही तरीका काम कराने का। गलत तरीका है, 'कभी तो तुम बिजली बिल समय पर जमा कर दो, क्या तुम्हें कभी फुर्सत मिलेगी..,' आदेश नहीं, निवेदन करके देखें।
दूसरे का पक्ष समझें
पार्टनर की जगह खुद को रख कर देखें। वह भी एक वयस्क व्यक्ति है। उसे इतना न टोकें कि वह घर में कैद सा महसूस करने लगे। हर व्यक्ति अपने घर में आजादी से रहना चाहता है और अपने हिसाब से जीना चाहता है।
कितना जरूरी है काम
यह भी सोचें कि जिस काम के लिए आप इतनी अधीर हैं, क्या वह वाकई इतना जरूरी है कि पार्टनर अपने अन्य जरूरी काम छोड़ कर पहले उसे करे? अपनी बात कह कर प्रतिक्रिया का इंतजार करें। लगातार बात रिपीट न करें, अन्यथा दूसरा चिढ़ जाएगा। सोचें कि क्या वह काम उसी वक्त होना जरूरी है या उसे कुछ समय के लिए टाला जा सकता है?
बीच की राह
कहने वाले और सुनने वाले के बीच सबसे बड़ी समस्या यह है कि एक को लगता है उसकी बात सुनी नहीं जाती और दूसरे को लगता है उसे सराहना तो नहीं मिलती, लेकिन ताने मिल जाते हैं। दोनों ही इससे दुखी होते हैं। इसलिए लड़ाई भूल कर अपनी दुर्बलताओं से लड़ें और बीच की राह निकालें।
पावर की लड़ाई
नैगिंग कई बार सिर्फ जरूरतों के लिए नहीं, बल्कि पावर के लिए भी होती है। इससे तय होता है कि रिश्ते में कौन हावी होना चाहता है। कभी-कभी अनजाने में भी ऐसा होता है। इस मानसिकता को समझने की कोशिश करें और उदारता के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करें, क्योंकि रिश्ते में बराबरी जरूरी है।
विनम्रता के बदले विनम्रता
अगर एक पक्ष विनम्रता से पेश आ रहा है तो दूसरे को अपने व्यवहार में बेरुखी या आदेश का भाव नहीं रखना चाहिए। यह भी जरूरी है कि दूसरा पक्ष भी विनम्रता से कहे गए काम के प्रति जिम्मेदारी महसूस करे। ऐसा नहीं होगा तो विनम्रता धीरे-धीरे चिढ़, फिर आदेश और फिर क्रूरता में बदल जाएगी।
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एक-दूसरे पर विश्वास करना

एक-दूसरे पर विश्वास सुखी और स्वस्थ दांपत्य की पहली और अनिवार्य शर्त है एक-दूसरे पर विश्वास करना। लोग खुद को सुरक्षित महसूस करना चाहते हैं और विश्वास ही वह तत्व है जो साथ बनाए रखता है। यह विश्वास कि कोई हरदम आपके साथ है और उसके किसी व्यवहार से आप आहत नहीं होंगी। संबंधों के दीर्घकालिक होने के लिए विश्वास ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
एक-दूसरे का ध्यान
लंबे समय तक दांपत्य जीवन गुजार चुके लोगों का अनुभव है कि अब स्वायत्तता और स्वतंत्रता पर बहुत ज्यादा जोर दिया जाने लगा है। साथ जीने में एक-दूसरे पर निर्भर होने की बात तो होती है, पर यह निर्भरता नकारात्मक वृत्तियों के लिए नहीं होनी चाहिए। वे नहीं समझते कि ऐसे मामलों में शामिल होने में उनका कोई नुकसान है। उनका अनुभव है कि शक्ति का संतुलन आपस में एक-दूसरे पर निर्भर रहने और एक-दूसरे का ध्यान रखने से ही बना रहता है। साथ ही यह भी कि आर्थिक समानता भावनात्मक समानता की गारंटी नहीं है, क्योंकि शक्ति संतुलन केवल वित्तीय संदर्भो में ही नहीं, बल्कि आपसी सम्मान और विश्वास जैसे भावनात्मक मुद्दों पर आधारित होता है।
साथ रहने का सुख
दीर्घकालीन संबंध बनाए रखने वाले दंपति एक-दूसरे के साथ होने के सुख का भरपूर अहसास करते हैं। उनकी अभिरुचियां और गतिविधियां सामान्य से कुछ भिन्न होती हैं और उन्होंने इसे एक-दूसरे के साथ संबंधों को मजबूत बनाने में सहयोगी महसूस किया। जब भी वे साथ रहते हैं, एक-दूसरे में पूरी दिलचस्पी लेते हैं।
अनुभव की शेय¨रग
इतिहास की साझेदारी रिश्तों की बुनावट का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। बच्चो के जन्म, विवाह प्रस्ताव या विवाह की वर्षगांठ जैसे साझा अनुभवों को याद करना और उन पर बात करना रिश्तों की इमारत में सीमेंट का काम करता है। अनुभवों की यही साझेदारी दंपतियों को भविष्य के भी संदर्भ देती है। इससे उन्हें इस बात का अहसास होता है कि संबंधों में गर्मजोशी बरकरार रखने के लिए क्या करने की जरूरत होती है, क्योंकि सबके दांपत्य जीवन में दो-चार बार कठिन समय जरूर आए होते हैं और इससे उन्हें यह अहसास होता है कि वे साथ-साथ बढ़े हैं। पूरे आत्मविश्वास के साथ भविष्य का सामना करने की ताकत मिलती है। एक-दूसरे के प्रति विश्वास बढ़ता है और यह संबंधों को और पुख्ता बनाता है।
खुद को भाग्यशाली मानें
कई दंपतियों ने कहा कि उनके संबंधों के बने रहने में भाग्य ने बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे इस बात के लिए खुद को भाग्यशाली महसूस करते हैं कि उन्हें एक ऐसा साथी मिला जिसके साथ वे आगे बढ़ सकें। कई लोगों ने इस बात के लिए खुद को भाग्यशाली महसूस किया कि उन्हें अपने प्रिय की मौत, नौकरी या घर छोड़ने जैसी स्थितियों से जूझना नहीं पड़ा। जीवन की यात्रा अपेक्षाकृत आसान होने के लिए वे स्वयं को भाग्यशाली अनुभव करते हैं।
पत्नी की योग्यता का स्वागत
कुछ पुरुषों के सामने यह स्थिति आई कि उनकी पत्नी अचानक काम पर जाने लगी, क्योंकि पत्नी ने आय बढ़ाने की जरूरत महसूस की। इनमें कुछ लोगों के लिह यह एक बड़ी घटना थी, क्योंकि वे स्वयं को परिवार की धुरी के रूप में देखने के आदी थे। फिर भी उन्होंने जरूरतों को स्वीकार करते हुए स्थितियों को एक रचनात्मक मोड़ दिया और पत्नी के इस कदम का स्वागत किया। लंबे अरसे तक सुखद वैवाहिक जीवन गुजार चुके लोगों का मानना है कि जब उन्हें बदलाव की जरूरत महसूस हुई तो उन्हें इससे कोई भय नहीं लगा। उन्होंने बदलाव को संबंधों के खात्मे के तौर पर नहीं, बल्कि सिर्फ एक ऐसी परिस्थिति के रूप में देखा जिससे उबरना था, क्योंकि संबंधों की मजबूती उनके लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण थी।
मतभेदों के साथ जीना
आप किसी पार्टी की समर्थक हैं और पति दूसरे के समर्थक। वह अपना राजनीतिक नजरिया बदल नहीं सकते तो आपको इन मतभेदों के साथ ही जीने की आदत डालनी चाहिए। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, 'ऐसी छोटी-छोटी बातों पर तकरार कर अपना पसीना और वक्त न गंवाएं। उन्हीं बातों में उलझें जिन्हें आप संयुक्त रूप से जीत सकें। बार-बार उन पुराने मुद्दों पर बहस करने में न उलझें जिन पर आप कई बार बहस कर चुकी हैं, क्योंकि अगर आप पुराने मुद्दों पर ही बहस करने में उलझी रहेंगी तो बेहतर चीजें हासिल नहीं कर सकेंगी। इसका यह मतलब भी नहीं है कि आप महत्वपूर्ण मुद्दों को भी नजरअंदाज कर दें। आशय सिर्फ यह है कि मतभेदों को जीवन के अनिवार्य सत्य की तरह स्वीकार कर उनके साथ जीने की आदत डालें। विवाह ऐसे व्यक्ति के साथ न करें जिसके बगैर आप जी न सकें, बल्कि ऐसे व्यक्ति के साथ करें जिसके साथ आप जी सकें।'
स्थायित्व की धारणा
ज्यादातर बुजुर्ग दंपतियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने यह अपेक्षा नहीं की कि उनकी जिंदगी हमेशा खुशनुमा बनी रहे, पर यह अपेक्षा जरूर की कि उनके रिश्ते हर हाल में बने रहें। तमाम लोग उनके संबंधों की व्याख्या एक ऐसी गाड़ी के रूप में करते हैं जिसे चलाने के लिए दोनों को जोर लगाना पड़ता है। वे जानते हैं कि गृहस्थी की गाड़ी चला तो एक ही रहा है, पर दूसरा भी चुपचाप बैठा नहीं है। वह भी अपनी ओर से कोशिश कर रहा है।
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