। लखीसराय।
बाल्मिकी रामायण और रामचरित्र मानस के अनुसार श्रृंगिरिषी आश्रम का विशेष महत्व
जिले के नक्सल प्रभावित चानन थाना क्षेत्र के धने कोहरे जंगल एवं पहाडीयों के कन्द्राओं में श्रृंगिरिषी आश्रम अवस्थित है। जहां ऋषि मुनियों का तपोभुमि हुआ करता था। बाल्मिकी रामायण और रामचरित्र मानस के अनुसार यहां भगवान श्री राम अपने मुंहबोली बहन शांता के साथ महीनों रहकर इस मनोरम छटा का आनंद लिया था। शांता को राजा दशरथ ने गोद लिया था। वो राजा दशरथ की दतक पुत्री थी। वो अंग राज के प्रतापी कुलगुरू पाल काप्य रिषि के पुत्र श्रृंगिदेव से विवाह रचाई थी । भगवान श्रीराम के मुंहबोली बहनोई श्रृंगिदेव इसी चानन के घने-कोहरे जंगल में आश्रम था जहां वो रहा करते थे । यहां निसंतान पुरूष और महिलाऐं की मनोकामना पुरी होती है । इसलिए आज भी श्रृंगिरिषी आश्रम का महत्व बरकारार है । सावन माह में यहां सैकडों बच्चों का मुंडन संस्कार होता है
श्री राम,लक्षमण, भरत, शत्रुधन का हुआ था मुंडन संस्कार
श्रृंगीरिषी आश्रम में राजा दशरथ के चारो पुत्र श्री राम, लक्षमण, भरत, शत्रुधन का मुंडन संस्कार हुआ था। जो लखीसराय जिला के चानन थाना क्षेत्र के जंगली इलाका में आज भी यह आश्रम है । जो श्रृंगिरिषी धाम के नाम से प्रसिद्व है। जहां भगवान शंकर का विशाल शिवलिंग है।
भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग
बहीं तुलसी रामायण के अनुसार राजा दशरथ ने श्री राम सहित सभीं राजकुमारों के लिए पुत्रेष्ठी यज्ञ किया गया था और चारों भाईयों का मुंडन संस्कार श्रृंगीऋषि आश्रम में हुई थी। जब श्री राम यहां आए तो चानन के जंगली इलाका में कई स्थानों पर रूककर भगवान शिव मुर्ती स्वंय बनाकर पूजा अर्चना किये थे । यहां भी त्रेतायुग के श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग है। जिसकी महता आज भी बरकारार है
हर-हर महादेव की जयघोष से वातावरण पूरी तरह शिवमय
सावन माह आते ही श्रृंगीऋषि धाम में बोलबम, हर-हर महादेव की जयघोष से वातावरण पूरी तरह शिवमय नजर आ रहा है । प्रसिद्ध धार्मिक एवं पौराणिक आश्रम श्रृंगीऋषि धाम में श्रद्धालु पहाडों और कन्द्राओं का पथरीला रास्ता पर नंगे पैरों से चलकर बाबा के दरवार पहुंचने के लिए तत्पर है। दूरदराज से महिलाओं व युवतियों का समूह पैदल चलकर मंदिर पहुंचते है बेलपत्र, अकवन की माला, धतुरा, भांग के साथ भोलेनाथ के शिवलिंग पर जलाभिषेक कर माता पार्वती मंदिर में भी पूजा-अर्चना की जा रही है।
प्राकृतिक छटा काफी मनोरम
यहां की प्राकृतिक छटा काफी मनोरम है। पहाडों की कन्द्राओं से निकला अविरल जल स्त्रोत की बहता पानी में लोग डुबकियां लगाकर लोग प्रफुल्लित होते है। सबसे बडी खासयित यह है कि यहां की पानी पाचन क्रिया को ठीक रखता है। किसी भी तरह की गरीष्ठ भोजन खाने के बाद भी यहां आधा धण्टा में भुख लग जाती है। यहां लोग सप्ताह भर रहकर जंगल में मंगल मनाते है। और भगवान शिव को जलाभिषेक करते है। ऐतिहासिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण से इस श्रृंगिरिषी आश्रम का बहुत बडी महत्व है।
यहां आने के बाद शान्ति स्नेह और सद्भाव व शकुन महसुश होता है। सावन महिना में यहां प्रतिदिन भीड रहती है। जिला के श्रृंगिऱिषी घाम में आज 30 हजार श्रद्वालुओं ने शिवलिंग पर जलाभिषेक किया । जो श्रृंगि रिषि आश्रम लखीसराय से 12 किलोमिटर कि दुरी पर चानन प्रखंड में है।
इस मंदिर के धर्मस्थल जाने के लिए लखीसराय एवं किउल स्टेशन से रिक्शा, टमटम एवं टेक्सी मिलती है । यह स्टेशन से मात्र 12 किलोमिटर कि दुरी पर स्थित हैं । राजधानी पटना से 155 किलोमिटर पुरब राष्ट्रीय उच्च पथ नेशनल हाईवे 80 पर से लगभग 16 किलोमीटर की दुरी पर अवस्थित हैं श्रृंगीरिषि आश्रम को रमणिक पर्यटन स्थल के रूप मे बिकसित करे तो यह लखीसराय जिले का प्रसिद्व धार्मिक स्थल के रूप में अच्छा राजस्व देने के साथ देश विदेश के मनाचित्र पर भी आ सकता है ।
जिले के नक्सल प्रभावित चानन थाना क्षेत्र के धने कोहरे जंगल एवं पहाडीयों के कन्द्राओं में श्रृंगिरिषी आश्रम अवस्थित है। जहां ऋषि मुनियों का तपोभुमि हुआ करता था। बाल्मिकी रामायण और रामचरित्र मानस के अनुसार यहां भगवान श्री राम अपने मुंहबोली बहन शांता के साथ महीनों रहकर इस मनोरम छटा का आनंद लिया था। शांता को राजा दशरथ ने गोद लिया था। वो राजा दशरथ की दतक पुत्री थी। वो अंग राज के प्रतापी कुलगुरू पाल काप्य रिषि के पुत्र श्रृंगिदेव से विवाह रचाई थी । भगवान श्रीराम के मुंहबोली बहनोई श्रृंगिदेव इसी चानन के घने-कोहरे जंगल में आश्रम था जहां वो रहा करते थे । यहां निसंतान पुरूष और महिलाऐं की मनोकामना पुरी होती है । इसलिए आज भी श्रृंगिरिषी आश्रम का महत्व बरकारार है । सावन माह में यहां सैकडों बच्चों का मुंडन संस्कार होता है
श्री राम,लक्षमण, भरत, शत्रुधन का हुआ था मुंडन संस्कार
श्रृंगीरिषी आश्रम में राजा दशरथ के चारो पुत्र श्री राम, लक्षमण, भरत, शत्रुधन का मुंडन संस्कार हुआ था। जो लखीसराय जिला के चानन थाना क्षेत्र के जंगली इलाका में आज भी यह आश्रम है । जो श्रृंगिरिषी धाम के नाम से प्रसिद्व है। जहां भगवान शंकर का विशाल शिवलिंग है।
भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग
बहीं तुलसी रामायण के अनुसार राजा दशरथ ने श्री राम सहित सभीं राजकुमारों के लिए पुत्रेष्ठी यज्ञ किया गया था और चारों भाईयों का मुंडन संस्कार श्रृंगीऋषि आश्रम में हुई थी। जब श्री राम यहां आए तो चानन के जंगली इलाका में कई स्थानों पर रूककर भगवान शिव मुर्ती स्वंय बनाकर पूजा अर्चना किये थे । यहां भी त्रेतायुग के श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग है। जिसकी महता आज भी बरकारार है
हर-हर महादेव की जयघोष से वातावरण पूरी तरह शिवमय
सावन माह आते ही श्रृंगीऋषि धाम में बोलबम, हर-हर महादेव की जयघोष से वातावरण पूरी तरह शिवमय नजर आ रहा है । प्रसिद्ध धार्मिक एवं पौराणिक आश्रम श्रृंगीऋषि धाम में श्रद्धालु पहाडों और कन्द्राओं का पथरीला रास्ता पर नंगे पैरों से चलकर बाबा के दरवार पहुंचने के लिए तत्पर है। दूरदराज से महिलाओं व युवतियों का समूह पैदल चलकर मंदिर पहुंचते है बेलपत्र, अकवन की माला, धतुरा, भांग के साथ भोलेनाथ के शिवलिंग पर जलाभिषेक कर माता पार्वती मंदिर में भी पूजा-अर्चना की जा रही है।
प्राकृतिक छटा काफी मनोरम
यहां की प्राकृतिक छटा काफी मनोरम है। पहाडों की कन्द्राओं से निकला अविरल जल स्त्रोत की बहता पानी में लोग डुबकियां लगाकर लोग प्रफुल्लित होते है। सबसे बडी खासयित यह है कि यहां की पानी पाचन क्रिया को ठीक रखता है। किसी भी तरह की गरीष्ठ भोजन खाने के बाद भी यहां आधा धण्टा में भुख लग जाती है। यहां लोग सप्ताह भर रहकर जंगल में मंगल मनाते है। और भगवान शिव को जलाभिषेक करते है। ऐतिहासिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण से इस श्रृंगिरिषी आश्रम का बहुत बडी महत्व है।
यहां आने के बाद शान्ति स्नेह और सद्भाव व शकुन महसुश होता है। सावन महिना में यहां प्रतिदिन भीड रहती है। जिला के श्रृंगिऱिषी घाम में आज 30 हजार श्रद्वालुओं ने शिवलिंग पर जलाभिषेक किया । जो श्रृंगि रिषि आश्रम लखीसराय से 12 किलोमिटर कि दुरी पर चानन प्रखंड में है।
इस मंदिर के धर्मस्थल जाने के लिए लखीसराय एवं किउल स्टेशन से रिक्शा, टमटम एवं टेक्सी मिलती है । यह स्टेशन से मात्र 12 किलोमिटर कि दुरी पर स्थित हैं । राजधानी पटना से 155 किलोमिटर पुरब राष्ट्रीय उच्च पथ नेशनल हाईवे 80 पर से लगभग 16 किलोमीटर की दुरी पर अवस्थित हैं श्रृंगीरिषि आश्रम को रमणिक पर्यटन स्थल के रूप मे बिकसित करे तो यह लखीसराय जिले का प्रसिद्व धार्मिक स्थल के रूप में अच्छा राजस्व देने के साथ देश विदेश के मनाचित्र पर भी आ सकता है ।
क्या कहते है अधिकारी
जिलाधिकारी श्री सुनील कुमार ने कहा कि श्रृंगीऋषि धाम में दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो इसका खास इंतजाम किया गया है। उन्होंने मेला के दौरान तैनात किए गए दंडाधिकारी एवं पुलिस कर्मियों से श्रद्धालुओं के साथ अतिथि सत्कार की भावना रखकर उनकी सेवा करने की अपील की। ताकि श्रद्धालु यहां से सुखद स्मृति लेकर लौटे। जिलाधिकारी ने कहा कि श्रृंगीऋषि धाम में प्रस्तावित आश्रम निर्माण के लिए नये प्रोजेक्ट रिपोर्ट भेजा जा रहा है। उन्होंने श्रृंगीऋषि धाम के विकास पर बल देते हुए कहा कि जिला प्रशासन राज्य स्तर पर इस मंदिर का प्रचार-प्रसार करने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि सावन माह में आने वाले श्रद्धालु सुरक्षित व सहज तरीके से भोलेनाथ का दर्शन कर पूजा-अर्चना करें इसके लिए जिला प्रशासन 24 घंटे सेवा भाव से तत्पर रहेगा।
जिलाधिकारी श्री सुनील कुमार ने कहा कि श्रृंगीऋषि धाम में दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो इसका खास इंतजाम किया गया है। उन्होंने मेला के दौरान तैनात किए गए दंडाधिकारी एवं पुलिस कर्मियों से श्रद्धालुओं के साथ अतिथि सत्कार की भावना रखकर उनकी सेवा करने की अपील की। ताकि श्रद्धालु यहां से सुखद स्मृति लेकर लौटे। जिलाधिकारी ने कहा कि श्रृंगीऋषि धाम में प्रस्तावित आश्रम निर्माण के लिए नये प्रोजेक्ट रिपोर्ट भेजा जा रहा है। उन्होंने श्रृंगीऋषि धाम के विकास पर बल देते हुए कहा कि जिला प्रशासन राज्य स्तर पर इस मंदिर का प्रचार-प्रसार करने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि सावन माह में आने वाले श्रद्धालु सुरक्षित व सहज तरीके से भोलेनाथ का दर्शन कर पूजा-अर्चना करें इसके लिए जिला प्रशासन 24 घंटे सेवा भाव से तत्पर रहेगा।
फोटो-. श्रृंगीऋषि धाम
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